इंदौर। भाजपा सरकार आने के बाद उत्तरप्रदेश में अवैद्य बूचड़खानों के खिलाफ मुहिम शुरू किए जाने के बीच एक आरटीआई से यह खुलासा हुआ है कि देश में सिर्फ 1,707 बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (एफएसएसए) 2006 के तहत पंजीकृत हैं। दूसरी तरफ पशुहितैषी संगठन पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया ने कहा है कि देश में अवैध या गैर लाइसेंसी बूचड़खानों की संख्या 30,000 से ज्यादा है।
नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ की अर्जी पर भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राद्यिकरण (एफएसएसएआई) ने बताया कि सबसे ज्यादा पंजीकृत बूचड़खाने वाले राज्यों में क्रमश तमिलनाडु (425), मध्यप्रदेश (262) और महाराष्ट्र (249) शीर्ष तीन स्थानों पर हैं।
यानी देश के कुल 55 फीसदी पंजीकृत बूचड़खाने इन्हीं तीन राज्यों में चल रहे हैं। आरटीआई के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, दादरा व नगर हवेली, दमन व दीव, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में एक भी बूचड़खाना एफएसएसए 2006 के तहत पंजीकृत नहीं है। इन आठ राज्यों में एक भी ऐसा बूचड़खाना नहीं है, जिसने केंद्रीय या राज्यस्तरीय लायसेंस ले रखा हो।
उत्तरप्रदेश शीर्ष राज्यों में शामिल नहीं
आरटीआई से यह भी खुलासा हुआ है कि उत्तरप्रदेश उन शीर्ष राज्यों में शामिल नहीं है, जहां सबसे अद्यिक बूचड़खाने एफएसएसए अद्यिनियम के तहत रजिस्टर्ड हैं। गौड़ के मुताबिक, भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राद्यिकरण (एफएसएसएआई) ने उन्हें ये आंकड़े फूड लायसेंसिंग एंड रजिस्ट्रेशन सिस्टम के जरिए उपलब्द्य जानकारी के आद्यार पर प्रदान किए हैं। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में कितनी बड़ी तादाद में अवैद्य बूचड़खाने चल रहे हैं।
इस बीच, पेटा इंडिया ने कहा है कि चमड़ा उद्योग में इस बात को सुनिश्चित करने का कोई तंत्र नहीं है कि वे जो कच्चा माल इस्तेमाल कर रहे हैं, वह अवैद्य बूचड़खानों से नहीं आया है।