RRCAT Indore: गजेंद्र विश्वकर्मा, इंदौर। इलेक्ट्रॉन बीम (किरण पुंज) की सहायता से चिकित्सा उपकरणों को रोगाणु मुक्त करने के लिए बनाए गए विशेष प्लांट ने काम शुरू कर दिया है। लेजर तकनीक पर उल्लेखनीय काम करने वाले और परमाणु ऊर्जा विभाग की इंदौर स्थित इकाई राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (आरआरकेट) ने इसे विकसित किया है।
इसी शहर में स्थापित इस प्लांट में मध्य प्रदेश, गुजरात और केरल सहित कई अन्य राज्यों में निर्मित चिकित्सा उपकरण यहां रोगाणु मुक्त (विसंक्रमित) किए जाने के लिए लाए जा रहे हैं। कोरोना काल में आरआरकेट इसके लिए कोई शुल्क नहीं ले रहा है। उपकरण निर्माता कंपनियों या अस्पतालों को केवल जीएसटी चुकाना पड़ रहा है।
सर्जरी में काम आने वाले उपकरण, रक्त एकत्रित करने की ट्यूब, डॉक्टरों द्वारा पहने जाने वाले गाउन, घाव पर लगाए जाने वाली रुई और पट्टी, प्राथमिक चिकित्सा किट, धातु और प्लास्टिक से बने औजारों को मशीन में गुजारने से ही वे रोगाणु मुक्त हो जाते हैं। खास बात यह भी है कि उपकरण या सामग्री को बॉक्स से निकालने की जरूरत नहीं होती। इलेक्ट्रॉन बीम बॉक्स के भीतर ही बैक्टीरिया, वायरस को खत्म कर देती है।
इस तकनीक में जब इलेक्ट्रॉन बीम उपकरणों या अन्य सामग्री से होकर गुजरती है तो उनमें मौजूद बैक्टीरिया और वायरस का डीएनए खत्म हो जाता है और वे निष्प्रभावी हो जाते हैं। इलेक्ट्रॉन बीम विशेष मशीनों से उत्पन्न और नियंत्रित की जाती है।
आरआरकेट के विज्ञानी और इस प्लांट के सुविधा प्रभारी जिष्णु द्विवेदी का कहना है कि चिकित्सा सामग्री को उपयोग पूर्व संक्रमण मुक्त करना जरूरी है। अब तक गामा तकनीक, खौलते पानी में उच्च दबाव पर रखकर (ऑटोक्लेव) और अन्य उपायों से उपकरणों को रोगाणु मुक्त किया जाता रहा है। पर्यावरण की सुरक्षा और मरीजों के लिहाज से इलेक्ट्रॉन बीम से कीटाणु मुक्त करने की प्रक्रिया सरल, सुविधाजनक और ज्यादा सुरक्षित है।
देश में पहली बार इंदौर में इसका केंद्र शुरू किया है। मशीन की क्षमता एक टन प्रतिदिन है। भारत में चिकित्सा उपकरण बनाने वाली कंपनियों की संख्या अच्छी खासी है। इलेक्ट्रॉन बीम के प्लांट वहां भी लगाए जा सकते हैं। लागत 15 से 20 करोड़ रुपये आती है। ऐसे प्लांट में मशीनें और अन्य साधन जुटाने में आरआरकेट उद्योगों की मदद करेगा।
आसान है उपयोग
आरआरकेट के वैज्ञानिक अधिकारी (जी) विकाश पेटवाल बताते हैं कि उपकरण या चिकित्सा सामग्री में अगर कोरोना वायरस मौजूद हो तो उसे नष्ट करने में इलेक्ट्रॉन बीम कारगर है। कोरोना महामारी के बाद चिकित्सा क्षेत्र में इस तकनीक का उपयोग दुनिया भर में बढ़ रहा है। इसका इस्तेमाल बहुत आसान है। चिकित्सा उपकरण के बॉक्स को मशीन से गुजारना भर होता है।
अभी प्रचलित तकनीक में ऑटोक्लेव मशीन में 120 से 180 डिग्री सेल्सियस तापमान पर उबाले गए पानी की भाप से उपकरणों को रोगाणु मुक्त किया जाता है। एथिनील ऑक्साइड (ईटीओ) सैनिटाइजेशन तकनीक का भी उपयोग किया जाता है। पानी उबालने या फिर रसायन का उपयोग करने से पर्यावरण को नुकसान होता है। साथ ही ये केवल धातुओं के उपकरण पर कारगर हैं। प्लास्टिक, कपड़ा आदि पर उपयोग नहीं हो सकतीं।