नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को परिक्रमा कृपा सार का विमोचन किया। उन्होंने नर्मदा परिक्रमा की महत्ता के साथ ही अर्थवेद एवं भारतीय दर्शन का उल्लेख करते हुए मनुष्य की जीने की कला, वर्तमान समय के साथ ही अखंड भारत की महत्ता पर संबोधित किया।
सनातन संस्कृति के तीन हजार साल के गौरवशाली अतीत के उल्लेख के साथ पिछले दो हजार वर्ष में दुनिया में आई अनेक विचार धाराओं के चलते हुए पतन की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा भक्ति, ज्ञान और कर्म की संतुलित त्रिवेणी पर श्रद्धा व विश्वास रखकर आज भी हमारा देश चलता है, इसलिए सबकी भविष्यवाणी झूठी कराकर हमारा देश आगे बढ़ रहा है।
ब्रिलियंट कन्वेशन सेंटर स्कीम 78 में नर्मदाखंड सेवा संस्थान द्वारा पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल द्वारा लिखित पुस्तक के विमोचन समारोह में कहा कि कई देशों का कहना था कि तुम टिकोगे नहीं, बंट जाओगे। इंग्लैंड बंटने की स्थिति में आ रहा है। हम नहीं बटेंगे। हम बढ़ेंगे। कभी जो बंट गए थे, उन्हें भी हम मिला लेंगे, क्योंकि जीवन जीने की विद्या हमारे पास है।
यह विद्या हमारे गुरु ने दी। 45 मिनट के उद्बोधन में कहा कि भारत का जो प्रभाव था, वह कैसे आया, यह जानने की आवश्यकता है। हमने विश्व का नेतृत्व किसी देश को जीता नहीं, किसी का व्यापार हमने दबाया नहीं। किसी को बदला नहीं, किसी का धर्मांतरण नहीं किया, जहां गए वहां हमने जीवन को उन्नत किया।
पिछले दो हजार वर्ष में आई अनेक विकृतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि पहले प्रत्येक राष्ट्र की अपनी पहचान और आपस में संवाद था, आज नहीं है। मनुष्य के हाथ में इतना ज्ञान आ गया है और विकास हुआ, लेकिन पर्यावरण बिगड़ा। मनुष्य उन्नत बना, लेकिन बहुत से परिवार टूटने लगे।
आपस में पटती नहीं है। माता-पिता को रास्ते पर लोग छोड़कर चले जाते हैं। ऐसी विकृति आ गई नई पीढ़ी में कि अगर कोई लड़का मानता है कि वह लड़का नहीं लड़की है तो कहने लगे, उसे दबाओ मत। पिछले दो हजार वर्ष में कई प्रकार के प्रयोग हुए हैं।