
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित मालवा प्रांत के सद्भाव बैठक के अंतिम सत्र में कहा कि मनुष्य को केवल शरीर और उपभोग की वस्तु मानने वाले विचारों ने यूरोप को ध्वस्त कर दिया है। अब यही विचार भारत की पारिवारिक व्यवस्था को भी कमजोर करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस विचारधारा ने विश्व के 50-60 घरानों के साथ मिलकर समाज को तोड़ने का कार्य किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत के बाजार पर कब्जा करना है।
डॉ. भागवत ने इंग्लैंड में 2021 में आयोजित डिस्मेंटलिंग हिन्दुत्व सेमिनार का उल्लेख करते हुए कहा कि यह विचारधारा उसी का परिणाम है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में धर्म और राष्ट्र एक ही हैं और इस दिशा में किए जाने वाले कार्य को ईश्वरीय कार्य माना जाना चाहिए। स्वामी दयानंद सरस्वती और स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों ने जात-पात से ऊपर उठकर राष्ट्रभाव जागृत करने का कार्य किया है।
बैठक में तीन सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें संघ प्रमुख ने दो सत्रों में भाग लिया। इस दौरान इंदौर में सामाजिक सद्भाव के लिए एक बड़े आयोजन की योजना बनाई गई है। साथ ही नवंबर में तहसील स्तर पर सद्भाव बैठकें आयोजित करने का निर्णय लिया गया है, जिसका उद्देश्य विभिन्न वर्गों के बीच समन्वय स्थापित करना है।
डॉ. भागवत ने समाज प्रमुखों से अपील की कि वे अपने-अपने क्षेत्र में सभी जातियों के साथ मिलकर उत्थान के लिए चिंतन करें। उन्होंने कहा कि कमजोर समाज को ऊपर उठाने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हम सभी हिंदू हैं और हर हिंदू का सुख-दुख एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। संघ प्रमुख ने समाज में समरसता और एकता की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि सभी वर्ग मिलकर राष्ट्र और हिंदू समाज के मुद्दों का समाधान कर सकें।