इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि), Sanwer By Election Result 2020। उपचुनाव में सांवेर में भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट ने बड़ी जीत हासिल की है। उन्होंने कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को 53 हजार 264 वोटों से पराजित किया है। मंगलवार को सुबह 8 बजे शुरू हुई मतों की गिनती देर रात तक जारी रही। भाजपा प्रत्याशी सिलावट मतगणना के हर राउंड में कांग्रेस प्रत्याशी से आगे रहे। सिलावट ने पहले ही राउंड से बढ़त बनाई और फिर 28वें राउंड तक पीछे मुड़कर नहीं देखा। मतगणना के दौरान कांग्रेस की ओर से कई बार आपत्तियां ली गईं। आधे घंटे के लिए मतगणना रोकी गई। आपत्तियों के निराकरण से असंतुष्ट होने पर दो-तीन बार विवाद की भी नौबत आई। कुछ बूथों की ईवीएम की पर्ची के नंबर में त्रुटि के कारण काफी बवाल मचा। एक बार तो कांग्रेस और भाजपा के मतगणना अभिकर्ताओं के बीच मतगणना कक्ष के अंदर ही बहस हो गई। रिटर्निंग अधिकारी आरएस मंडलोई की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए गए।
प्रशासन और पुलिस अफसरों पर भी भाजपा के दबाव में काम करने के आरोप लगे। मतगणना कक्ष में पुलिस अधिकारियों के आने से कांग्रेस जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव, उम्मीदवार गुड्डू के पुत्र अजीत बौरासी, पुत्रियों रश्मि और रीना ने भारी आपत्ति ली। मतगणना के 14वें राउंड में आपत्ति के कारण वोटों की गिनती रोकनी पड़ी। इसके बाद मतगणना के 16वें चक्र में भी कांग्रेस द्वारा आपत्ति लगाने से मतों की गिनती का काम आधे घंटे रुका रहा। अपर कलेक्टर पवन जैन, अभय बेडेकर और अजयदेव शर्मा ने मामले को शांत करवाकर मतगणना का काम आगे बढ़ाया।
सांवेर का चुनाव शुरू में कांटे की टक्कर का माना जा रहा था। यह चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए भी काफी प्रतिष्ठापूर्ण था क्योंकि उनके खास सिपहसालार तुलसी सिलावट यहां से चुनाव लड़ रहे थे, इसलिए सिंधिया ने यहां लगातार सभाएं की। यहां भाजपा ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई सभाएं की और रोड शो भी किया। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी सभा लेने पहुंचे थे। कांग्रेस को इस चुनाव क्षेत्र से काफी आशा थी। पार्टी का मानना था कि इसी क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय रहे गुड्डू भारी पड़ेंगे और सिलावट को अच्छी टक्कर देंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने भी यहां सभाएं ली। गुड्डू ने कई महीने पहले से चुनाव लड़ने के लिए जमावट शुरू कर दी थी। सांवेर से 2003 में प्रकाश सोनकर 19500 वोटों से जीते थे। इस चुनाव के पहले तक यह इस विधानसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी जीत थी। सिलावट दोपहर बाद ही इस आंकड़े को पार कर चुके थे।
सिलावट की जीत के कारण
- भाजपा संगठन ने संभाली चुनाव की बागडोर न चुनाव प्रबंधन में माहिर विधायक रमेश मेंदोला के चुनाव प्रभारी होने का फायदा मिला।
- मंत्री रहते हुए सांवेर के लोगों से जीवंत संपर्क बनाए रखा तुलसी ने न सिंधिया और शिवराज के लिए प्रतिष्ठा की सीट थी, दोनों ने पूरी ताकत झोंकी।
- पार्टी बदलने पर भी पुराने कार्यकर्ताओं को साधा, नए साथियों पर भरोसा जताया।
गुड्डू की हार के कारण
- सांसद रहते हुए सांवेर के लोगों से दूरी महंगी पड़ी न बाहरी उम्मीदवार होने की छबी का नुकसान हुआ।
- स्थानीय कार्यकर्ता नहीं जुटा पाए इससे मतदाताओं से सीधा संपर्क नहीं हो सका।
- कांग्रेस संगठन का पर्याप्त साथ नहीं मिला।
- चुनाव में भाजपा पर प्रहार करने की बजाय प्रशासन को टारगेट किया इससे चुनाव के मुद्दों से भटक गए।
17 साल बाद सबसे बड़ी जीत
वर्ष 2003 में सांवेर की सबसे बड़ी जीत प्रकाश सोनकर की थी। वे 19,500 वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र मालवीय को हराया था। उनका रिकार्ड 17 साल बाद तुलसी सिलावट ने तोड़ा है। साल 2003 के चुनाव में बना रिकार्ड तुलसी ने 11 वें चक्र में ही तोड़ दिया था। सिलावट संभाग में पहले ऐसे विधायक हैं, जिन्होंने एक ही विधानसभा क्षेत्र से पांच बार चुनाव जीता है। इस चुनाव में आपत्तियों का भी रिकार्ड बना है। 50 से ज्यादा आपत्तियां राजनीतिक दलों ने लगाई। इसका असर वोटों की गिनती पर भी पड़ा और आधी रात तक परिणाम घोषित नहीं हो सके।
पूरे प्रदेश में भाजपा की लहर थी। सांवेर में संगठन की मेहनत की जीत है। जनता को शिवराजसिंह चौहान का नेतृत्व पसंद है और ज्योतिरादित्य सिंधिया पर विश्वास है। हमने जनता का भरोसा जीता है। जनता से चुनाव में जो वादे किए हैं, वह पूरे करूंगा। - तुलसी सिलावट (विजयी उम्मीदवार)
संगठन बर्बाद कर दिया था तुलसी सिलावट ने सांवेर में संगठन बर्बाद कर दिया था। कम समय में संगठन खड़ा करना चुनौती थी। अफसरों ने भी ईवीएम में छेड़छाड़ की। भाजपा के एजेंट बनकर काम किया। अगली बार फिर पूरी तैयारी से मैदान में उतरूंगा। - प्रेमचंद गुड्डू, कांग्रेस उम्मीदवार