Tourist Place In MP: गांधी सागर बांध से लौटकर गजेन्द्र विश्वकर्मा
इंदौर से करीब 300 किलोमीटर दूर चंबल नदी पर बना गांधी सागर बांध अब मध्य प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है। पर्यटन विभाग ने इस क्षेत्र को भारत के पर्यटन के नक्शे पर उभारने के लिए कोशिश तेज कर दी है। इसी कड़ी में यहां इन दिनों प्लोटिंग फेस्टिवल मनाया जा रहा है। इसमें मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान और अन्य राज्यों के काफी पर्यटक पहुंच रहे हैं। ऐतिहासिक बांध को देखने के साथ पर्यटक पहाड़ों और हरियाली से भरे क्षेत्र को निहार रहे हैं। घनी हरियाली के बीच जंगल सफारी का आनंद तो कुछ अलग ही है।
गांधी सागर क्षेत्र को 'द हार्ट आफ इंडिया' भी कहा जाता है। इन दिनों यहां पर्यटकों को रोमांचक यात्रा कराई जा रही है। फ्लोटिंग स्टेज पर लाइव म्यूजिकल कान्सर्ट कराए जा रहे हैं। जंगलों में ट्रेकिंग कराई जा रही है। फूड फेस्टिवल में दूर-दराज से आने वाले पर्यटकों को मध्य प्रदेश और राजस्थान के खान-पान परोसे जा रहे हैं। चौरासीगढ़ की सफारी यात्रा (पश्चिमी गांधीसागर अभयारण्य) साल भर खुला रहता है। जंगली पहाड़ियों के कारण यहां विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों को देखने के लिए प्रचुर अवसर मिलता है।
अभ्यारण्य में पाई जाने वाली प्रमुख वृक्ष प्रजातियां खैर (बबूल कत्था), सलाई, करधई, धवड़ा, तेंदू, पलाश है। अभयारण्य में निवास करने वाली प्रमुख पशु प्रजातियाें में हिरण है। आसानी से चिंकारा, नीलगाल, तेंदुआ, लंगूर, जंगली कुत्ते, मोर, ऊदबिलाव को भी देखा जा सकता है। सामान्य दिनों में यहां रोजाना 500 से एक हजार पर्यटक पहुंचते हैं लेकिन इन दिनों इनकी संख्या दो हजार से चार हजार पहुंच चुकी है।
ऐसे पहुंच सकते हैं
बस, रेल या निजी वाहन से गांधी सागर तक पहुंचा जा सकता है। गांधी सागर से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन गरोठ है। गरोठ से इसकी दूरी 56 किलोमीटर है। गरोठ रेलवे स्टेशन से बांध तक पहुंचने के लिए विभिन्न परिवहन सुविधा मौजूद है। नीमच और मंदसौर आकर भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। एयर कनेक्टिविटी की बात करें तो इंदौर या उदयपुर एयरपोर्ट से पहुंचा जा सकता है।
इस तरह की गतिविधियां मौजूद है
रिवर बोट स्पा, जेट स्की, बनाना राइड्स, स्पीड बोट्स, हार्स राइड, कयाकिंग, विंच पैरासेलिंग हॉट एयर बैलून, एटीवी राइड, राइफल शूटिंग, तीरंदाजी, गाइडेड साइकिल टूर के साथ आराम की गतिविधियां और पानी का रोमांच शामिल है। फूड फेस्टिवल और क्राफ्ट्स बाजार भी लगा हुआ है।
यहां पहुंचने पर यह ध्यान रखें
यहां पहुंचने पर अधिकारी हैवी नाश्ता करने की सलाह देते हैं। साथ में पानी रखने और आरामदायक कपड़ों का उपयोग करने के लिए कहा जाता है। धूप का चश्मा, टोपी, दूरबीन और कैमरा साथ में रख सकते हैं।
गांधी सागर बांध क्यों हैं खास
बांध की आधारशिला 1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। पांच टरबाइन वाला गांधी सागर पावर स्टेशन 65 मीटर लंबा और 56 फीट चौड़ा है। यहां से मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान में भी बिजली की आपूर्ति की जाती है। तत्कालीन चीफ इंजीनियर एके चार, एक्जिक्टिव इंजीनियर सीएच सांघवी, सिविल इलेक्ट्रिकल शिव प्रकाशम के मार्गदर्शन में बांध तैयार हुआ था। गुणवत्ता, एशिया में सबसे कम खर्च और सबसे कम वक्त में बांध पूरा होने पर चीफ इंजीनियर को पद्मश्री से नवाजा गया था।
चीतों के लिए भी क्षेत्र को चिहिन्त किया गया है
इस बार के बजट में वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा है कि पर्यटन देश के रोजगार में 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि हम इस क्षेत्र को और बेहतर करने के लिए कार्य करें। प्रदेश में 26 पर्यटन स्थल है। यहां कई राज्यों और देशों के पर्यटक आते हैं। हम लगातार यह योजना बनाते रहते हैं कि हम प्राकृतिक सुंदरता का और कैसे बेहतर उपयोग करें। प्रदेश जैसा पर्यटन क्षेत्र देश के किसी भी राज्य में नहीं है। गांधी सागर बांध पर हो रहे फेस्टिवल में हम देशभर के पर्यटकों को आमंत्रित कर रहे हैं। यहां रूकने के लिए 22 टेंट घर तैयार किए गए हैं।छह महीने तक विभिन्न गतिविधियां होगी और हर साल सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। चीतों के लिए भी इस क्षेत्र को चिन्हित किया गया है।
- विवेक श्रोत्रिय, एएमडी, मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड
सभी साधन जुटाएं गए हैं
पर्यटन की दृष्टि से गांधी सागर बांध और आसपास का क्षेत्र सुंदर है। आसपास कई ऐतिहासिक मंदिर भी है। यहां ज्यादा से ज्यादा पर्यटक आए इसके लिए सभी तरह के साधन जुटाएं गए हैं। कई गतिविधियों के साथ ही मन की शांति के लिए यह क्षेत्र बेहतर है।
- उषा ठाकुर, मंत्री, पर्यटन, संस्कृति और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व
Posted By: Sameer Deshpande
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