Chalte-Chalte Indore: चेहरा देखकर खजराना के गर्भगृह में मिल रहा प्रवेश
Chalte-Chalte Indore: ये प्रतिबंध आम भक्तों के प्रवेश पर है, वीआइपी लाेगों को मंदिर के पुजारी अपनी मर्जी से गर्भगृह में प्रवेश कर देते हैं।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Sat, 22 Apr 2023 12:20:14 PM (IST)
Updated Date: Sat, 22 Apr 2023 12:20:14 PM (IST)

Chalte-Chalte Indore: चलते-चलते, उज्ज्वल शुक्ला
उज्जैन में महाकाल मंदिर समेत प्रदेश भर के मंदिरों के गर्भगृह में प्रवेश दिया जा रहा है, लेकिन खजराना गणेश मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पर अभी भी प्रतिबंध लगा हुआ है। हालांकि ये प्रतिबंध आम भक्तों के प्रवेश पर है, वीआइपी लाेगों को मंदिर के पुजारी अपनी मर्जी से गर्भगृह में प्रवेश कर देते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे कल्पेश िवजयवर्गीय के खजराना मंदिर के गर्भगृह से दर्शन करते हुए फोटो इंटरनेट मीडिया पर आने के बाद से यह मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। पिछले दिनों कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को उठाया था। उसने कहा था कि पर्यटन, संस्कृति और आध्यात्म विभाग की मंत्री ऊषा ठाकुर के गृह नगर में भक्तों को भगवान से दूर किया जा रहा है। कल्पेश ने अपने फेसबुक दर्शन करते हुए फोटो पोस्ट किया है। इसके पहले कैलाश विजयवर्गीय, विधायक संजय शुक्ला सहित कई नेताओं के गर्भगृह से दर्शन करते हुए फोटो सामने आ चुके हैं। तब भी मंदिर के पुजारियों पर ही सवाल खड़े हुए थे।
अच्छे काम का भी बुरा नतीजा
करीब दो माह पूर्व अनुपम शर्मा को बुरहानपुर का डीएफओ बनाया गया था। अपने अल्प कार्यकाल में ही अनुपम शर्मा ने न केवल सात सौ एकड़ जमीन को वन माफियाओं से मुक्त कराया बल्कि पांच करोड़ की लकड़ी भी जप्त कर डाली। इन कामों की प्रशंसा करने के बजाय शासन ने उन्हें मुख्यालय में अटैच कर दिया। अपने कार्यकाल के दौरान शर्मा ने बुरहानपुर कलेक्टर व एसपी द्वारा वन माफिया के खिलाफ कार्रवाई में सहयोग नहीं करने की शिकायत भी शासन से की थी। वन मंत्री विजय शाह भी उनके काम से खुश नहीं थे, वे भी कई बार वन माफिया के समर्थन में बयान दे चुके थे। खैर अब अनुपम शर्मा की चर्चा पूरे मध्यप्रदेश में हो रही है। उनके समर्थन में कर्मचारियों ने हड़ताल तक की चेतावनी दे दी है। इंटरनेट मीडिया पर भी लोग शासन के इस आदेश को सुशासन बताकर तंज कस रहे हैं।
कर्नाटक फार्मूला अपनाया तो नेता पुत्रों की होगी बल्ले-बल्ले
विधानसभा चुनाव को अभी करीब छह का माह का समय है, पर चुनावी चर्चा अभी से शुरू हो चुकी है। भाजपा अभी तक हुए हर चुनाव में परिवारवाद को मुद्दा बनाती आई है। गुजरात चुनाव के टिकट वितरण में इसकी झलक भी देखने को मिली थी। गुजरात में पार्टी ने अपने कई दिग्गज नेताओं के स्वजनों को टिकट देने से इंकार कर दिया था। अब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के लिए परिवारवाद का जो फार्मूला अपनाया गया, उससे मध्य प्रदेश के नेता पुत्र गदगद हो गए हैं। गुजरात टिकट वितरण फार्मूले की अपनी लाइन से हटते हुए भाजपा ने कर्नाटक में लगभग दो दर्जन टिकट परिवारवाद में बांट दिए हैं। भाजपा लगातार ने परिवारवाद से दूरी बनाने की बात कहती रही है, पर कर्नाटक के टिकट वितरण के बाद से प्रदेश में कई मंत्रियों और विधायकों के परिजन फिर से सक्रिय हो गए है।
श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति के कार्यक्रम चर्चा में
श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति को इंदौर में साहित्य जगत की सबसे पुरानी समिति माना जाता है। िपछले िदनों समिति के प्रधानमंत्री पद के चुनाव को लेकर जिस प्रकार की रस्साकशी दिखी, उससे समिति की छवि पूरे देश में प्रभावित हुई थी। अब समिति के नए प्रधानमंत्री अरविंद जवलेकर उस छवि को निखारने का प्रयास करते दिख रहे हैं। पदभार ग्रहण करते हुए उन्होंने एक अच्छी पहल करते हुए प्रति सप्ताह देश के ख्यात कालजयी साहित्यकारों का पुण्य स्मरण प्रारंभ किया है। इसकी शुरुआत प्रसिद्ध साहित्यकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पत्रकार तथा छायावादी आंदोलन से जुड़े रहे पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के 135 वें जन्मदिन के अवसर पर चार अप्रैल से की गई थी। इस आयोजन से वे समिति की सभी सदस्यों के अलावा शहर की अन्य साहित्यिक संस्थाओं को भी जोड़ रहे हैं। उनके इस प्रयास की साहित्यिक जगत भी काफी चर्चा हो रही है।