इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि,Solar Energy Indore News। सौर ऊर्जा की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह डीसेंट्रलाइज्ड सिस्टम हो सकता है। जहां चाहिए वहां सौर ऊर्जा का उत्पादन कर उपभोग किया जा सकता है। बहुत छोटे स्तर पर ऊर्जा बना सकते हैं। कोयले वाले या बड़े हाइड्रो प्लांट में ऊर्जा बनाने में बहुत बड़ा प्लांट लगता है, उसको बनाने में बहुत समय लगता है व संचालन भी कठिन होता है। हम डीसेंट्रलाइज्ड सोलर एनर्जी के माध्यम से इन परेशानियों को तो कम किया ही जा सकता है। साथ ही रोजगार बढ़ाने में भी मदद हो सकती है। रोजगार सस्टेनेबल हो उसके लिए बिजली का सस्टेनेबल होना भी आवश्यक है और ऐसी सस्टेनेबल एनर्जी सूरज के माध्यम से मिल सकती है।
यह बात महिला सोलर पावर निर्माता सुष्मिता भट्टाचार्य ने वेबिनार के माध्यम से कही। इंदौरवाले ग्रुप द्वारा जिम्मी मगिलिगन मेमोरियल सप्ताह के तहत वेबिनार आयोजित किया गया। इसमें सुष्मिता भट्टाचार्य और सोलर रिन्युएबल एनर्जी के निर्माता अजय चांडक ने विचार साझा किए। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि आत्मनिर्भर भारत के लिए गांव-कस्बों में सोलर-रिन्यूएबल एनर्जी बनाना होगी।
अजय चांडक ने कहा कि बायो गैस, बायोमास चूल्हे का बहुत बड़ा बाजार है और इसमें ग्रामीण व्यवसाय करने की क्षमता काफी ज्यादा है। बड़ी मात्रा में इनका इस्तेमाल ढाबों में हो रहा है। गैस की तुलना में इसका खर्चा सिर्फ 25 प्रतिशत है। मैंने अपना रिसर्च सेंटर और वही रोजगार कौशल प्रशिक्षण शुरू किया। जिससे प्रचार-प्रसार हुआ और ज्यादा लोग ऊर्जा के क्षेत्र में आगे आने लगे। 2017 में इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य की नौकरी छोड़कर रिसर्च और ट्रेनिंग में लग गया।
गत तीन वर्षों में आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, आइआइटी मुंबई, अमेरिकन कंपनियों को सोलर कुकर, इंडस्ट्रियल कांस्ट्रेंटर टेक्नोलाजी विकसित करके कुछ को अपने पेटेंट भेज दिए और सोलर कांस्ट्रेंटर तथा सोलर ड्रायर संबंधित रिसर्च काम देना शुरू किया। आक्सफोर्ड विवि के लिए रिसर्च एक्सपोर्ट करने वाली संभावित रूप से यह पहली इकाई है। करोनाकाल तथा जलावायु संकट विश्व की अभी सबसे बड़ी त्रासदी तो है ही। साथ ही हमारे लिए बड़ी चेतावनी है। यह हमें बता रही है कि हमें पर्यावरण को बचाना होगा।