नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर(Soybean Mandi Bhav)। दो साल पहले सोयाबीन के दाम 6000 रुपये क्विंटल थे और सोयाबीन तेल 100 रुपये किलो। आज सोयाबीन के दाम 3800 से 4000 रुपये क्विंटल हैं, लेकिन तेल के दाम नहीं घटे। किसान संगठनों ने आंकड़े जारी कर कहा है कि सोयाबीन उत्पादक किसानों के साथ ही नहीं, आम उपभोक्ता के साथ भी ठगी हो रही है। सोयाबीन के दाम दस वर्ष में सबसे निचले स्तर पर हैं।
एक दशक में दाम कभी भी 4500 से नीचे नहीं पहुंचे। अगले सप्ताह से किसान आंदोलन शुरू होगा। भारतीय किसान संघ का मालवा प्रांत सम्मेलन पांच सितंबर को इंदौर में होगा। इससे पहले सोयाबीन पर शनिवार-रविवार को संघ ने बैठक बुलाई है। प्रांत सम्मेलन के पहले घटे दामों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होगा।
किसान कब तक उपज संभालकर रखें
15 सितंबर से खरीफ का नया सोयाबीन भी आने लगेगा। किसान भयभीत हैं कि तब तो दाम रसातल में पहुंच जाएंगे। सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4892 रुपये निर्धारित है, तो किसानों के लिए दाम कम क्यों? नकदी फसल होने से सरकार इसकी खरीद नहीं करती। उपज बाजार में ही बेचनी पड़ती है। किसान थक चुके हैं कि कब तक उपज संभालकर रखें।
गलत नीति जिम्मेदार
संयुक्त किसान मोर्चा के रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि सरकार ने आयात शुल्क घटाकर सोयाबीन तेल विदेश से मंगवाया। यहां किसानों की सोयाबीन बिक नहीं रही है। जबकि विदेशी तेल महंगे दामों पर उपभोक्ताओं को खरीदना पड़ रहा है। सरकार की नीति गलत है। पूरे प्रदेश के 20 किसान संगठन इस मुद्दे पर आंदोलन के लिए सहमति दे चुके हैं।