Success Story: 67 वर्ष की अलका केमकर ने होलकर स्टेडियम सहित व देश की कई महत्वपूर्ण इमारतों को दिया आकार
Success Story: आर्किटेक्ट के क्षेत्र में जहां पुरुषों का वर्चस्व था, वहां पर महिला होकर इन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Sun, 17 Sep 2023 02:31:49 PM (IST)
Updated Date: Sun, 17 Sep 2023 02:31:49 PM (IST)
अलका केमकर ने 1973 में न सिर्फ बैचलर आफ आर्किटेक्ट की डिग्री हासिल बल्कि गोल्ड मेडल भी जीता।Success Story: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। बीमा नगर में रहने वाली अलका केमकर ने 1968 में जब आर्किटेक्ट बनने का निर्णय लिया तो उनके पिता भास्कर दिनकर सूर्यवंशी जो सिंचाई विभाग के इंजीनियर इन चीफ थे उन्होंने उन्हें इस कार्य के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया। उस समय भोपाल मौलाना आजाद इंस्टि्टयूट आफ टेक्नोलाजी में इस काेर्स में सिर्फ दो लड़कियां ही थी, उसमें से वे एक थी। ऐसे में आर्किटेक्ट के क्षेत्र में जहां पुरुषों का वर्चस्व था, वहां पर महिला होकर इन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई।
इन्होंने 1973 में न सिर्फ बैचलर आफ आर्किटेक्ट की डिग्री हासिल बल्कि गोल्ड मेडल भी जीता। उसके बाद उन्होंने प्रायवेट प्रैक्टिस चालू की। 1979 में इन्होंने अलका केमकर एसोसिएट के नाम से अपनी फर्म की शुरुआत की। 2003 में इनकी कंपनी एकेए कंसल्टेंट प्रा. लि. में रजिस्टर्ड हुई। शुरुआत में इन्होंने अपनी कंपनी के माध्यम से
मध्य प्रदेश व
छत्तीसगढ़ के हाउसिंग बोर्ड के गृह निर्माण के प्रोजेक्ट किए।
1979 में अलका केमकर की शादी पेशे से इंजीनियर प्रकाश केमकर के साथ हुई। इस तरह दोनों की जोड़ी ने मिलकर इंदौर, प्रदेश व देशभर में मेडिकल व शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण के साथ अन्य कई बड़े प्रोजेक्ट की रुपरेखा तैयार की। इनकी फर्म न
इंदौर में देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के खंडवा रोड परिसर में छात्रावास, क्लासरुम व अन्य विकास कार्यों की रुपरेखा तैयार की।
विवि के आइटी परिसर का डिजाइन तैयार किया
इसके अलावा यूनिवर्सिटी के आइइटी परिसर का डिजाइन भी इन्होंने तैयार किया। 1990 के दशक में जब इंदौर में नेहरु स्टेडियम के बाद दूसरे सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण की योजना बनाई जा रही थी उस समय मप्र क्रिकेट एसोसिएशन ने इनकी उपलब्धियों को देखते हुए 35 हजार क्षमता का अंतराष्ट्रीय स्तर का होलकर स्टेडियम की डिजाइन तैयार करने का जिम्मा दिया।
जिसे इनकी टीम बखूबी निभाया और आज इस स्टेडियम में कई अंतराष्ट्रीय क्रिकेट मैच होते है। वर्ष 2007 में अलका केमकर के बेटे अनीश केमकर भी आर्किटेक्ट की पढ़ाई पूरी कर उनके साथ जुड़े और अब वे भी अपनी मां के साथ कई बड़े प्रोजेक्ट की संरचना तैयार करने में अहम भूमिका निभा रहे है।
अलका केमकर, अपने बेटे आर्किटेक्ट अनीश केमकर के साथ।
उज्जैन व गुजरात के कई मेडिकल कालेज व अस्पतालों की संरचना तैयार की
67 वर्षीय वरिष्ठ आर्किटेक्ट अलका केमकर बताती है कि गुजरात सरकार के आमंत्रण पर उनकी कंपनी ने वर्ष 2012 में गुजरात में करीब 12 मेडिकल कालेज व अस्पतालों का संरचना तैयार की। 2016 में प्रदेश सरकार ने इन्हें सिंहस्थ के दौरान उज्जैन में 560 बेड का एमसीएच अस्पताल की डिजाइन तैयार करने का जिम्मा सौंपा। इस प्रोजेक्ट को दो साल के कम समय में पूरा करने के कारण भारत सरकार ने अलका केमकर को विश्वकर्मा अवार्ड से नवाजा। इसके अलावा अलका केमकर की फर्म ने आइआइटी इंदौर, पंजाब के आइआइटी रोपड़, एम्स रायपुर, आइआइएम इंदौर, असम में आइएएस प्रशिक्षण संस्थान के निर्माण व विस्तार के कई प्रोजेक्ट किए।
ग्रीन बिल्डिंग संरचना के आधार पर तैयार कर रहे आइटी पार्क 3
मप्र औद्योगिक विकास निगम ने इनकी फर्म को
खंडवा रोड पर आइटी पार्क -3 की 22 मंजिल इमारत की संरचना को बनाने का जिम्मा दिया। इनकी फर्म द्वारा इस इमारत को ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट पर तैयार किया गया है। ऐसे में इस इमारत की डिजाइन इस तरह तैयार की गई है कि दिन में सूरज की पर्याप्त रोशनी मिले और सौर ऊर्जा का उपयोग भी हो सके। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने बीना में इंदौर के आईटी पार्क 3 का शिलान्यास भी किया है। इनके द्वारा आइआइटी इंदौर में ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट पर तैयार की गई लाइब्रेरी की इमारत को सीपीडब्ल्युडी द्वारा भारत के श्रेष्ठ बिल्डिंग डिजाइन का पुरस्कार दिया गया है।