Tennis Ball Cricket: कपीश दुबे, इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोरोनाकाल की समाप्ति के बाद इंदौर के मैदानों पर फिर से टेनिस गेंद क्रिकेट की रौनक लौटने लगी है। शहर में लगातार छोटे-बड़े आयोजन हो रहे हैं और हजारों की भीड़ जुट रही है, लाखों के पुरस्कार बांटे जा रहे हैं। आइपीएल की तर्ज पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को टीमें पैसे देकर अपने साथ जोड़ती हैं। रणजी ट्राफी मैचों में दिग्गजों को देखने जितने लोग नहीं जाते, उसकी तुलना में हजारों की भीड़ गुमनाम से खिलाड़ियों के चौके-छक्के देखने के लिए जुटती है।
शहर के पश्चिमी क्षेत्र स्थित खालसा कालेज के सामने से गुजरते हुए निगाह स्टेडियम की तेज रोशनी की ओर पड़ती है। यहां रात्रिकालीन टेनिस गेंद टूर्नामेंट हो रहा है। दर्शकों की भारी भीड़ होती है, खिलाड़ियों का जोश बढ़ाने के लिए संगीत भी है। यहां चौधरी शंकर खलीफा की स्मृति में टेनिस गेंद से क्रिकेट का टूर्नामेंट हो रहा है। प्रदेश की 32 टीमें हिस्सा ले रही हैं। आइपीएल की तर्ज पर आतिशबाजी और बीएसएफ के बैंड की धुन के बीच ट्राफी का लोकार्पण किया गया था। विजेता को एक लाख रुपये, उपविजेता को 50 हजार रुपये और टीवी, फ्रिज सहित अन्य उपहार भी बांटे जा रहे हैं। इससे पहले चिमनबाग मैदान पर भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय ने बहुत बड़ा टूर्नामेंट कराया था। यहां भी लाखों रुपये के पुरस्कार बांटे गए।
संदीप पथरोड़ बताते हैं, वर्ष 2019 में कोरोना संक्रमण आने के बाद बीते दो साल से आयोजन नहीं हुए। इस तरह के आयोजन खेल के साथ खिलाड़ियों को आर्थिक मजबूती भी देते हैं। खिलाड़ी टेनिस गेंद टूर्नामेंट में खेलकर अच्छा पैसा कमा लेते हैं। टीमें भी बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को खरीदती हैं। एक टूर्नामेंट के लिए अच्छे खिलाड़ी को पांच हजार से 20 हजार रुपये तक मिल जाते हैं।ध
आइपीएल अब आया, इंदौर में सालों पहले से पैसे लेकर खेल रहे खिलाड़ी
वेंकटेश अय्यर को तैयार करने वाले एमवायसीसी के कोच परविंदर रैना कभी इंदौर में टेनिस गेंद क्रिकेट के बड़े नाम थे। उन्होंने बताया कि आइपीएल तो अब आया है, इंदौर में सालों पहले से पेशेवर खिलाड़ियों को टीमें पैसे देकर बुलाती थीं। कई बार इनामी राशि में खिलाड़ी अपना हिस्सा तय कर लेते थे। उस दौर में बहुत टूर्नामेंट होते थे और नामी खिलाड़ी 20 से 25 हजार रुपये महीना कमाते थे। वैष्णव स्कूल में तब लाखों रुपये के पुरस्कार बंटते थे। मैं माणिकबाग एकादश से खेलता था। टीमों के पास टैम्पो ट्रैक्स होती थी, जिससे टीमें अलग-अलग जगह मैच खेलने जाते थे। चैंपियन एंड चैंपियन से खेलने वाले संतोष नायर का टेनिस गेंद में बड़ा नाम था। वे इंदौर संभागीय क्रिकेट टीम के कोच रह चुके हैं।
श्रीलंका की टीम में आती थी शहर में खेलने
मप्र अंपायर एवं स्कोरर संगठन के अध्यक्ष राजेश वलेचा ने बताया कि वैष्णव स्कूल में होने वाले टूर्नामेंट की सबसे ज्यादा चर्चा होती थी। यहां श्रीलंका की टीमें भी आई हैं। खातीवाला टैंक में खनूजा मैदान पर स्व. कंवलजीत खनूजा ने शुरुूआत की थी और फिर कई राजनेता यहां आयोजन कराने लगे। शहर के विष्णुपुरी, चिमनबाग, नंदानगर, छावनी में दो नंबर स्कूल, जीपीओ चौराहा जैसे मैदानों पर लगातार नाइट टूर्नामेंट होते थे। उस दौर में माणिकबाग इलेवन, नंदानगर एकादश, रामबाग एकादश, खातीवाला टैंक एकादश जैसी कई टीमें थीं। जिनमें पेशेवर खिलाड़ी होते थे।
टेनिस गेंद क्रिकेट के नामी खिलाड़ी
जिस तरह अब आइपीएल में बड़े खिलाड़ियों पर सभी की निगाह होती है, उसी तरह उस दौर में माणिकबाग टीम के परविंदर रैना और स्पिनर आरिफ खान लोकप्रिय थे। बांबे बाजार के मुमताज को टीमें खिलाने के लिए पैसे देकर ले जाती थीं। चैंपियन एंड चैंपियन से खेलने वाले संतोष नायर भी बहुत लोकप्रिय थे। वे इंदौर संभागीय क्रिकेट टीम के कोच रह चुके हैं। दिलीप बिंजवा लंबे समय से टेनिस गेंद क्रिकेट टूर्नामेंट खेल रहे हैं। यंग जेलरोड टीम के दिनेश शर्मा का भी काफी नाम था।