लोकेश सोलंकी, इंदौर Indore News। केंद्र सरकार के आइपीडीएस प्रोजेक्ट में सरकारी खंबों और ट्रांसफार्मरों को निजी कालोनाइजरों को बेचने के लिए चर्चा में आई पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी पर अब फिर एक आरोप लगा है। निजी कालोनी में बनी ग्रिड की आरक्षित जमीन कालोनाइजरों को वापस दी जा रही है। बायपास के ग्राम मायाखेड़ी में बनी टाउनशिप में बिजली ग्रिड की जमीन का एक हिस्सा फिर से कालोनाइजर के हवाले किया जा रहा है। कंपनी के अधिकारियों पर आरोप लगे हैं वे कालोनाइजरों को फायदा देने के लिए ऐसा कर रहे हैं। मामले की शिकायत बिजली कंपनी में की गई है।
2008 में बायपास से सटकर बनी विस्तारा टाउनशिप में बिजली प्रदाय के लिए टाउनशिप से करीब 6 हजार वर्गफीट जमीन ली गई थी। वहां पर 33-11 केवी विद्युत सब स्टेशन बनाया गया। ग्रिड के चार्ज होने यानी बिजली आपूर्ति शुरू होने के बाद इसका संचालन बिजली कंपनी ने अपने हाथों में ले लिया। बिजली कंपनी को शिकायत की गई है कि ग्रिड की पुरानी बाउंड्रीवाल को तोड़कर पीछे नई बाउंड्रीवाल बनाई जा रही है। ग्रिड के हिस्से में रही जमीन कालोनाइजर को लौटाई जा रही है। मामले में एडवोकेट अभिजीत पांडे ने बिजली अधिकारियों के खिलाफ लिखित शिकायत की है।
आरोप लगाया गया है कि भविष्य में आसपास के क्षेत्र के विद्युतीकरण और क्षेत्र के हित को अनदेेखा कर बिजली अधिकारी गलत तरीके से कालोनाइजर को लाभ देने के लिए यह सब कर रहे हैं। सबस्टेशन के लिए ली ली गई जमीन इस तरह वापस दी जाने लगी तो यह नई परंपरा शुरू होगी और तमाम कालोनाइजर इसका लाभ उठाने लगेंगे। और तो और कालोनाइजर ने बिजली कंपनी को लिखित में यह सिफारिश भी कर दी है कि इस ग्रिड से बाहर अन्य क्षेत्र में सप्लाय नहीं किया जाए। बिजली कंपनी के अधिकारी इस पर भी सहमति दे रहे हैं जबकि ऐसा किया नहीं जा सकता। शहर के आसपास के गांवों में तेजी से शहरी करण हो रहा है ऐसे मेें नए विद्युत ढांचे और आने वाली मांग का भार उठाने के लिए पर्याप्त क्षमता वाली ग्रिड जगह की कमी से बनाई नहीं जा सकेगी।
कंपनी का मत अस्पष्ट
शिकायत के बाद बिजली कंपनी का मत बंटा हुआ आ रहा है। बिजली कंपनी के अधीक्षण यंत्री शहर वृत कामेश श्रीवास्तव ने कहा कि ग्रिड के लिए तो 2 हजार वर्गफीट जगह ही पर्याप्त होती है। वहां पांच से छह हजार वर्गफीट जगह थी। कालोनाइजर को गार्डन बनाना है इसके लिए थोड़ी जगह वह ले रहा है। इसमें कुछ गलत नहीं है। हालांकि नाथ डिवीजन के डीई सुनील सिंह का कहना है कि मेरे पास शिकायत आई है। मैं जांच कर रहा हूं। तकनीकी रूप से यह उलझा हुआ मामला है। यह तो सही है कि जमीन तो कालोनाइजर की है। जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
सब स्टेशन कंपनी का
बिजली कंपनी के पुराने अधिकारियों के अनुसार हर नई बसाहट में ग्रिड की जमीन सबस्टेशन के लिए कालोनाइजर से ही ली जाती है। उस सबस्टेशन में अतिरिक्त लाइन दी जाती है ताकि भविष्य की जरुरत और आसपास के क्षेत्र को भी जोड़ा जा सके। ग्रिड चार्ज होने के बाद उसका संचालन क्षमता बढ़ाने का काम बिजली कंपनी करती है। ऐसा कोई नहीं कह सकता कि उस ग्रिड से आगे कनेक्शन नहीं दिए जाए। ऐसा हो तो एक क्षेत्र से दूसरे में बिजली आपूर्ति ही रुक जाएगी। इंदौर में कालोनाइजरों की शर्त को स्वीकार करना अपने आप में अनोखा मामला है।