Indore News: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। राम नाम की भक्ति का बीज कभी बंजर नहीं हो सकता। राम और कृष्ण भारत भूमि के प्राण तत्व हैं। राम नाम की भक्ति का बीज पूरे ब्रह्मांड को लहलहा देता है। कृष्ण इस देश के कण-कण में और राम रोम-रोम में व्याप्त है।

यह बात श्रीधाम वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने कही। वे गीता भवन सत्संग सभागृह में चल रहे श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ में संबोधित कर रहे थे। कथा में भगवान राम एवं कृष्ण के जन्मोत्सव धूमधाम से मनाए गए। इसके पूर्व नरसिंह अवतार एवं वामन अवतार के उत्सव भी मनाए गए।

कथा स्थल को विशेष रूप से माखन की मटकियों और गुब्बारों से सजाया गया था। भक्तों के सैलाब के बीच सुसज्जित टोकनी में नन्हें श्रीकृष्ण को लाते ही उनके दर्शनों के लिए भक्तों में होड़ मच गई। नंद में आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन पर समूचा सभागृह झूम उठा।

व्यासपीठ का पूजन विधायक संजय शुक्ला के आतिथ्य में समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, बी. आर. गोयल, सुभाष बजरंग, निर्मल गुप्ता उज्जैन, शैलेन्द्र गुप्ता आयोजन, राजेन्द्र गोयल, अरविंद बागड़ी, किशोर गोयल, श्याम अग्रवाल, रामविलास राठी, दीपचंद गर्ग, जेपी. फडिया आदि ने किया।

कथा 27 मई तक प्रतिदिन दोपहर 4 से शाम 7 बजे तक होगी। 26 मई को महारास लीला, एवं रूक्मणी विवाह तथा 27 मई को सुदामा चरित्र की कथा के बाद पूर्णाहुति होगी। कथा में अनेक उत्सव भी मनाए जाएंगे।

भगवान भी संघर्ष से अछूते नहीं

विद्वान वक्ता ने कहा कि भगवान राम और कृष्ण ने भी अपने जीवन में अनेक संघर्ष और दुख झेले हैं। भगवान को भी संघर्ष का सामना करना पड़ता है, यह बात उन सब लोगों को भी समझ लेना चाहिए जो जीवन में छोटे-छोटे संघर्षों से दुखी होकर पलायन का रास्ता अपना लेते हैं। राम और कृष्ण जैसा जीवन शायद ही किसी और ने जिया होगा। संघर्ष व्यक्ति को मजबूत बनाता है। भगवान की लीलाएं समझना हमारे लिए संभव नहीं है। स्वयं ब्रह्मा भी भगवान की लीलाओं को नहीं समझ पाए थे।

Posted By: Sameer Deshpande

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