लोकेश सोलंकी, नईदुनिया, इंदौर। आम बजट 2024-25 में सोने पर बेसिक कस्टम ड्यूटी घटाने की घोषणा के बाद सोना एक बार फिर चर्चा में है। वहीं कभी सोने को पीछे छोड़ देने वाली महंगी धातु प्लेटिनम पूछपरख को तरस रही है। एक दशक पहले तक प्लेटिनम की चमक से ज्वेलरी बाजार की आंखें भी चौंधिया रही थी। बाजार में इसे सोने से महंगा बेचा जा रहा था।
सोने के आभूषण तो निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोग भी खरीद और पहन रहे थे लेकिन प्लेटिनम तक पहुंच सिर्फ उच्च आय वर्ग की ही थी। तब का स्टेटस सिंबल बनी इस चमकदार, चांदी की तरह सफेद और जंगरोधी धातु की चमक सुनहरे सोने के सामने फीकी पड़ गई है।
बाजार में प्लेटिनम के दाम सोने के मुकाबले आधे से भी कम रह गए हैं। हाल ये है कि इंदौर के ज्वेलरी बाजार के काउंटरों से ही यह धातु गायब हो गई है। 1980 के दशक में प्लेटिनम धातु की ओर निवेशकों और ज्वेलरी इंडस्ट्री का ध्यान गया। 1990 के दशक में इसके दामों ने सोने को पीछे छोड़ दिया। वर्ष 2008 में प्लेटिनम के दाम शीर्ष पर पहुंच गए। सोने के मुकाबले करीब डेढ़ गुना कीमत पर प्लेटिनम बिकने लगा।
इसी दौर में धनाढ्य वर्ग सोने के बजाय प्लेटिनम पर ध्यान देने लगा। लगातार प्रचारित भी हुआ कि प्लेटिनम की उपलब्धता पृथ्वी पर सोने के मुकाबले बमुश्किल 10 प्रतिशत ही है। गहने खरीदने वाले मान रहे थे कि दुर्लभ धातु होने के कारण इसकी कीमत में आने वाले समय में अच्छी तेजी रहेगी।
हालांकि 2012 के बाद से स्थितियां बदलने लगीं। वर्ष 2024 के मध्य में अब सोना करीब 71 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के दाम पर बिक रहा है तो प्लेटिनम के दाम महज 29 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम ही रह गए हैं।
प्लेटिनम के दामों पर भी अब थोक बाजार में चर्चा नहीं होती। दरअसल लगातार एक दशक तक इसकी कीमतें सोने से नीचे बनी हुई है। किसी तरह की कोई खास बढ़त भी दर्ज नहीं हुई। ऐसे में निवेशकों का भी मोह इसके प्रति टूटा है। जिन्होंने सोने से महंगे प्लेटिनम के गहने खरीदे थे, वे भी सोचते हैं कि यदि सोना खरीदा होता तो आज उसकी कीमत दोगुनी हो जाती। - रितेश संघवी, बुलियन कारोबारी, इंदौर
पूरे बाजार में अब प्लेटिनम के गहनों की मांग ही नहीं बची है। प्लेटिनम का स्टील-चांदी जैसा रंग भी भारतीयों की त्वचा के रंग पर ज्यादा फबता नहीं। - अनिल रांका, अध्यक्ष, इंदौर चांदी-सोना-जवाहरात व्यापारी एसोसिएशन
प्लेटिनम का उत्पादन इतना कम है कि इसमें हैजिंग यानी दाम उतार-चढ़ाव के सौदों के लिए वैश्विक स्तर पर होने वाले सौदों की पूर्ति भी संभव नहीं है। प्लेटिनम की आपूर्ति कुछ हजार औंस प्रतिवर्ष है जबकि सोने की आपूर्ति हजारों टन में हो रही है। दुनिया के तमाम देशों की केंद्रीय बैंक और सरकारें महंगाई से निपटने और करंसी नोटों के मूल्य की रक्षा के लिए सोना ही खरीदती हैं। - स्वप्निल जैन, चार्टर्ड अकाउंटेंट