
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। प्रदेश में आमजन की सुनवाई नहीं होने की दशा में सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की सुविधा दी गई है। शुरुआती दौर में तो सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत के बाद तुरंत निराकरण होता था, लेकिन अब लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। सीएम हेल्पलाइन जैसी जनसुनवाई की अहम योजना इंदौर संभाग में अफसरशाही की सुस्ती का शिकार हो गई है।
कई विभाग सुनवाई पर ध्यान नहीं दे रहे और लंबित शिकायतों की संख्या हजारों में पहुंच चुकी है। बीते दिनों संभागायुक्त सुदाम खाड़े की अध्यक्षता में हुई कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस में खुलासा हुआ कि संभाग में करीब 54 हजार शिकायतें लंबित हैं।
इनमें से अकेले इंदौर जिले में 22,641 से अधिक शिकायतें अटकी हुई हैं। शिकायतों के इस पहाड़ को कम करने के लिए संभागायुक्त ने सभी जिलों को जीरो पेंडेंसी का लक्ष्य अपनाने के निर्देश दिए हैं। जनता की सीधी आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए सीएम हेल्पलाइन राज्य सरकार की प्रमुख पहल है।
वहीं सरकार के लिए यह एक फीडबैक सिस्टम की तरह काम करती है, जिससे विभागीय प्रदर्शन का आकलन और सुधार के क्षेत्रों की पहचान होती है। आंकड़ों के अनुसार संभाग में 53,934 शिकायतें लंबित है। इंदौर में सबसे ज्यादा 22,641 शिकायतें लंबित हैं। इसके बाद खरगोन में 8404, धार में 7947, खंडवा में 7474 शिकायतें लंबित हैं। सबसे कम आलीराजपुर में महज 633 शिकायतें हैं।
संभाग में 54 हजार शिकायतों में से 24,212 एल-1 स्तर यानी प्रारंभिक निस्तारण पर ही अटकी पड़ी हैं। वहीं एल-3 पर 19,625 और एल-2 पर 5482 शिकायतें लंबित हैं। एल-4 पर 4615 शिकायतें दर्ज हैं। इनका निराकरण नहीं हो पा रहा है।
संभागायुक्त स्तर पर भी 1103 शिकायतें लंबित है। सर्वाधिक 497 इंदौर और 209 धार जिले की हैं। विभागवार देखें तो राजस्व विभाग से संबंधित सर्वाधिक 477 शिकायतें हैं। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग की 284, प्राकृतिक प्रकोप राहत राशि की छह, पिछड़ा वर्ग की 167, सीमांकन की 35, भूअर्जन की 33 सहित अन्य विभागों की शिकायतें भी लंबित हैं।
संभाग में सर्वाधिक 9762 शिकायतें गृह विभाग की लंबित हैं। इसके बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की 6897, नगरीय विकास एवं आवास विभाग की 6553, राजस्व विभाग की 5634, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की 4343, महिला एवं बाल विकास विभाग की 3303, जनजातीय कार्य विभाग की 2120 शिकायतें हैं।