Dol Gyaras: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। डोल ग्यारस पर मंगलवार शाम को फूलों से सजे डोल में राधा-कृष्ण को विराजित कर इंदौर में विभिन्न समाजों के चल समारोह निकले। अनंत चतुर्दशी के तीन दिन पहले झिलमिलाती झांकियां झांकी मार्ग पर दिखाई दी। इस बार डोल ग्यारस पर तीन मंगलकारी संयोग बने। माना जाता है कि इस दिन वामन अवतार के पूजन से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है।
डोल ग्यारस पर इंदौर में निकली झिलमिलाती झांकी, लोगों ने निहारा pic.twitter.com/CwxI0CxiBI
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कोष्टी समाज ने निभाई 40 साल की परंपरा
डोल ग्यारस - इंदौर में निकले डोल, महिलाओं के नृत्य ने मोहा मन pic.twitter.com/hAUvBNHLxU
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डोल ग्यारस पर इंदौर में आकर्षक डोल निकाले गए। इस दौरान अखाड़ों में महिलाओं ने भी अपने कौशल का प्रदर्शन किया। वीडियो राजू पवार#indorenews #dolgyaras #Mpnews pic.twitter.com/SPTBFEnp2L
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कोष्टी समाज ने अपनी 40 साल की परंपरा निभाई। डोल ग्यारस समिति के अध्यक्ष नीतेश कौल व उस्ताद नारायण श्रीवंश ने बताया कि राजकुमार मिल स्थित धर्मशाला से झिलमिलाती झांकियों व अखाड़ों के साथ डोल निकाले गए। डोल मालवा मिल, रानी सती गेट, एमजी रोड, राजवाड़ा से हरसिद्धि मंदिर पर पहुंचा।
शस्त्र कला का किया प्रदर्शन
डोल ग्यारस पर शस्त्र कला का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न समाजों के डोल निकले। गोपाल और नृसिंह मंदिर में डोल सजाए गए। मध्य प्रदेश प्रजापति बरदिया समाज द्वारा राधाकृष्ण नयनाभिराम डोल कुम्हारखाड़ी मेन रोड से शाम 6 बजे निकाला गया। प्रवक्ता महेश कश्यप ने बताया कि राधा कृष्ण की झांकी के साथ ब्रजलाल गुरु व्यायामशाला द्वारा शस्त्र कला का प्रदर्शन किया गया। डोल मरीमाता चौराहा, इमली बजार, राजवाड़ा होकर हरसिद्धि मंदिर पहुंचा। यहां महाआरती की गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने घरों से बाहर निकले और भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन कर पालकी के नीचे से परिक्रमा लगाई।
तीन मंगलकारी संयोग बने
ज्योर्तिविद् कान्हा जोशी ने बताया कि भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि छह सितंबर को सुबह 5.54 पर शुरू होकर सात सितंबर को सुबह 3.04 बजे तक रहेगी। एकादशी के दिन सुबह 8.16 तक आयुष्मान और इसके बाद सौभाग्य योग दिवस पर्यंत रहेगा। इस दिन रवि योग सुबह 6.01 मिनट से शाम 6.09 मिनट तक रहेगा। इसे परिवर्तिनी व जल जूलन एकादशी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं। इस तिथि पर भगवान विष्णु और उनके आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण के पूजन का विधान है।