इंदौर। मेरी उम्र करीब 14-15 साल थी और अमृता प्रीतम की उम्र तब मेरी मां की उम्र से भी चंद साल ज्यादा रही होगी। हम दोनों के घरों के दरमियां महज 10 मकानों का ही फासला था। मैं उछलती-कूदती उनके यहां पहुंच जाया करती थी। जो कुछ अच्छी-बुरी कविता लिखती थी, वह उन्हें सुना दिया करती और वे मेरी लेखनी को सुधारने में कोई कसर बाकी नहीं रखती। उम्र, अनुभव और लेखन के इतने अंतर के बावजूद उन्होंने मुझे और मेरी कविताओं को पूरी इज्जत दी। वक्त गुजरता गया हमारा रिश्ता दिन-ब-दिन गहरा होता गया। गहरा इतना कि आज यह रिश्ता रूहानियत का हो गया। बीते कल के पन्नाों को पलटते हुए सुनहरी यादों की ये दास्तां लेखिका और अभिनेत्री डॉ. लवलीन थडानी ने सिटी लाइव से हुई चर्चा में बयां की।
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शहर में अमृता प्रीतम के जीवन पर आधारित नाटक 'अमृता अ सबलाइम लव स्टोरी' का मंचन 2 नवंबर को होने जा रहा है। इसमें अमृता प्रीतम का किरदार डॉ. लवलीन निभाएंगी। डॉ. लवलीन कहती हैं उन्हें अमृता प्रीतम का किरदार निभाने में कभी कोई मुश्किल, झिझक या नर्वसनेस नहीं लगी। इसकी वजह थी उनकी हर एक आदत, बात और सोच को नजदीक से समझना। मेरे बचपन से लेकर उनके इस दुनिया में रहने तक के तमाम वर्षों में जब भी मैं उनसे मिलने गई उन्होंने हमेशा मुझे मान ही दिया। हमने साथ में कविताओं की जुगलबंदी भी की। उनकी हर आदत मेरे मन-मस्तिष्क में मानों छप सी गई है। उनके हावभाव, बोलने का लहजा, उनकी नजाकत और उनकी सोच सब कुछ मुझे अपनी ओर खींचती रही। अगर एक शब्द में कहूं तो वे बहुत सेंसेटिव थीं।
यह प्ले मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान
डॉ. लवलीन कहती हैं जब मुझे एमएस सथ्यू ने इस नाटक में एक्टिंग करने के लिए पूछा तो मैंने हां करने में बमुश्किल एक मिनट की देर ही लगाई होगी। अमृताजी मुझसे हमेशा कहती थीं कि तुम एक्टिंग करना। जब मुझे यह मौका मिला, तो लगा कि अमृताजी मेरे माध्यम से कम्युनिकेशन कर रही हैं। उनके लिए प्ले करना मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है। इसके लिए मैं खुदा का शुक्रिया अदा करती हूं।
जिंदगी है बेस्ट टीचर
यूं तो हर किसी से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है पर अमृताजी से मैंने जो सीखा वह यह कि 'आप जो हैं वही रहें'। हमें अपनी ग्रोथ खुद ही करनी होती है। वैसे मैं भी यही कहती हूं कि जिंदगी जीवन की बेस्ट टीचर होती है।