नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। प्रकृति के आंचल में वक्त बिताना भला कौन नहीं चाहेगा...। वह भी तब, जब रोजमर्रा की आपाधापी से दूर, सुरम्य और एकांतवास मिले। पक्षियों का कलरव मन को लुभाए, कुलांचे भरते हिरणों का झुंड आनंदित करे। पेड़ों की छाया सुकून दे और इन्हीं सबके बीच अगर बाघ भी दिख जाए तो कहने ही क्या...। ये सबकुछ मौजूद है देवास जिले के खिवनी अभयारण्य में। तो यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं, वन्य जीवों से लगाव है और पर्यटन के शौकीन भी, तो चले आइए खिवनी...।
यहां इंडियन पेराडाइस फ्लाईकेचर अक्सर देखा जाता है। अन्य पक्षियों में मोर, पपीहा, उल्लू, बाज, राबिन, बगुला, सारस, चील, तीतर, नीलकंठ, फाक्ता, तोता, कोयल, कूका, कठफोड़वा, बिलबिला, ड्रैंगो, कौआ, मैना, बुलबुल, बया, बवलर, दर्जिन, धोविन आदि मुख्य रूप से अभयारण्य के आकर्षण हैं।
साथ ही सनसेट प्वाइंट, कलम तलाई, इको प्वाइंट, होलकर वंश के समय की निर्मित शिकार गाह गोल कोठी, ओल्ड वाच टावर, बालगंगा नदी का उद्गम स्थल, बाल हनुमान मंदिर, जंगल सफारी आदि कई स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ-साथ उन्हें वन्य प्राणी संरक्षण के प्रति जागरूक भी करती हैं।
नेशनल हाईवे-3 पर देवास से लगभग 85 किलोमीटर दूर खिवनी अभयारण्य है। मतलब इंदौर से इसकी दूरी करीब 120 किमी है। यह स्थान बाघों को काफी सुहाता है और यही वजह है कि धीरे-धीरे बाघों का कुनबा बढ़ रहा है। लगभग दस बाघ यहां हैं।
इतना ही नहीं, तेंदुआ, लकड़बग्घा, भालू, लोमड़ी, सियार, चीतल, सांभर, चिंकारा, काला हिरण, हनी बैजर, जंगली कैट, सीवेट (कबर बिज्जू), सेही, पेंगोलिन, जंगली सूअर, इंडियन कोबरा, रसेल वायपर, कामन करेत, धामन, अजगर सहित सांप की अलग-अलग प्रजातियां भी पाई जाती हैं।
पक्षियों की 100 से अधिक प्रजातियां भी अभयारण्य में हैं। यह अभयारण्य कुसमानिया (कन्नौद) क्षेत्र में स्थित है। इससे सीहोर जिले की सीमा भी जुड़ी है। खिवनी अभयारण्य के उत्तर में अनेक पहाड़ियां हैं। जामनेद नदी एवं अनेक छोटे-बड़े नाले नर्मदा बेसिन का भाग बनाते हैं। पर्वतों की शृंखला से घिरा सघन वन क्षेत्र है।
बारिश में रहता है बंद
30 जून तक खिवनी अभयारण्य जा सकते हैं। वर्षाकाल में बंद रहता है। अक्टूबर में फिर खुल जाता है। वर्षाकाल में वन्य जीवों का प्रजननकाल भी रहता है, जिस कारण अभयारण्य बंद रहता है। दोबारा खुलता है तो शुरुआती दौर में कई वन्य जीव नजर आते हैं।
वैसे फरवरी बाद यहां समतल मैदान रहता है तब वन्य जीवों को आसानी से देखा जा सकता है। कई बार सफारी के दौरान पर्यटकों को बाघ विचरण करते नजर आते हैं, जिन्हें वे कैमरे में कैद करते हैं।
यह क्षेत्र ट्रैकिंग के लिए भी उपयुक्त है। सियाघाट से दौलतपुर, दौलतपुर से रूपादा, दौलतपुर से खिवनी, मोहाई से खिवनी व रीछीगेट से पटरानी आदि वन मार्ग आने-जाने के मुख्य रास्ते हैं। खिवनी दौलतपुर वन मार्ग स्थित व्यू प्वाइंट तथा कलम तलाई से अभयारण्य का अनुपम दृश्य दिखता है।
कॉटेज के साथ कैंटीन भी
खिवनी अभयारण्य के अधीक्षक विकास माहोरे के अनुसार खिवनी में पर्यटकों को लुभाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। पर्यटन स्पाट दोगुने हो गए हैं। 24 नए गाइड्स तैयार किए हैं। भोपाल मार्ग से आने वाले यात्रियों के लिए दौलतपुर से प्रवेश द्वार शुरू किया है। ठहरने के लिए सुविधायुक्त गेस्ट हाउस व कॉटेज हैं। दो काटेज और बना रहे हैं।
अंदर कैंटीन है। ऋषि गेट पर मिनी हाट बाजार शुरू करेंगे जहां ग्रामीण खाने-पीने के सामान के साथ उत्पादों की बिक्री कर सकेंगे। राक क्लाइंबिंग एक्टिविटीज भी शुरू करने की योजना है। कुछ समय पहले मिसेज इंडिया अपेक्षा डबराल भी यहां पहुंचीं थीं और पर्यटन को बढ़ाने के लिए लोगों से अपील की थी।