नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। बारिश के मौसम में पर्यटन का अलग ही मजा है। यह आनंद तब और भी बढ़ जाता है जब प्रकृति से जुड़ने का अवसर मिले और अध्यात्म के बीच कुछ वक्त बिताने का लाभ। ऐसा कम ही होता है कि हमारी एक यात्रा में इन दोनों ही बातों का समावेश हो। वैसे इस बार आपको ऐसे ही स्थान की यात्रा कराते हैं जहां अध्यात्म, प्रकृति और सेवा की त्रिवेणी हो।
चलते हैं एक ऐसी यात्रा पर जहां शिव की कृपा भी बरसती हो और गो सेवा का सुंदर उदाहरण भी देखा जा सकता हो। यूं तो श्रावण मास में प्राचीन शिव मंदिरों में तिलमात्र जगह मिलना भी मुश्किल हो जाता है। हालांकि, एक प्राचीन मंदिर ऐसा भी है जहां आप आराम से भोले की भक्ति कर सकते हैं। यह स्थान है बाबा बैजनाथ धाम जो शहर से महज डेढ़ सौ किमी दूर ही है।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में बैजनाथ धाम की अपनी महत्ता है जो कि झारखंड के देवघर में स्थित है पर जो लोग झारखंड नहीं जा सकते वे आगर मालवा जिला मुख्यालय में बने बाबा बैजनाथ के दर्शन कर सकते हैं। यहां भगवान भोलेनाथ शिवलिंग स्वरूप में विराजमान हैं। मंदिर के मुख्य परसिर में नंदी की विशाल मूर्ति स्थापित है। पत्थरों को तराशकर बना यह मंदिर बेहद आकर्षक है और यहां का विशाल परिसर आपको भक्ति करने, ध्यान लगाने का भरपूर अवसर देता है।
श्रावण मास में यहां दर्शन पूजन के लिए हर दिन हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। श्रावण माह के आखिरी सोमवार चार अगस्त को यहां बाबा बैजनाथ महादेव की शाही सवारी परंपरागत उल्लास और भव्यता के साथ निकाली जाएगी। इस बार सवारी में प्रसिद्ध वकील जयनारायण उपाध्याय ‘बापजी’ की झांकी भी सम्मिलित होगी।
इस मंदिर से वकील जयनारायण उपाध्याय बापजी की अनोखी कहानी भी जुड़ी है। किंवदंती है कि एक वकील जय नारायण बाबा बैजनाथ महादेव के बड़े भक्त थे। वह साधना में इतने लीन हो जाते थे कि कई बार न्यायालय के काम भी भूल जाते थे। 23 जुलाई 1931 को भी यही स्थिति बनी। वह बाबा बैजनाथ महादेव की पूजा करने मंदिर गए और वहां ध्यान में इतना मग्न हो गए कि दोपहर तीन बजे उनका ध्यान पूर्ण हुआ। उन्हें याद आया कि उन्हें तो पेशी के लिए न्यायालय जाना था। ऐसे में वह आनन-फानन में न्यायालय पहुंचे। न्यायालय पहुंचते ही साथी वकीलों ने उन्हें बधाई देना शुरू कर दिया।
वकील उनसे बोले कि आपने गजब की बहस की और पक्षकार को निर्दोष साबित कर दिया। इस पर बापजी समझ गए कि यह लीला प्रभु बैजनाथ की ही है। इस चमत्कारिक घटना के बाद वकील साहब ने सांसारिक जीवन त्याग दिया और सद्गुरु नित्यानंद महाराज की शरण ले ली और उनके शिष्य बन छोटे बापजी के रूप में अनुयायियों के बीच पहचान बनी। बाबा बैजनाथ मंदिर में आज भी भक्त के रूप में वकील जय नारायण उपाध्याय की प्रतिमा लगी है।
यदि आप इस धार्मिक यात्रा के साथ सेवा की मिसाल भी देखना चाहते हैं तो अनूठा गो अभयारण्य देखने भी जा सकते हैं। जिला मुख्यालय आगर मालवा से करीब 50 किमी की दूरी पर ग्राम सालरिया में एशिया का पहला गो अभयारण्य है। यह स्थान गो सेवा को समझने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और आकर्षक स्थल है।
यहां गायों को सुरक्षा-संरक्षा और उत्तम स्वास्थ्य देने के लिए ऐसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनसे गोसेवा के क्षेत्र में काफी कुछ सीखा जा सकता है। यह गो अभयारण्य वर्ष 2017 में बनाया गया था। यहां फिलहाल करीब पांच हजार गायें हैं।
शुरुआत में इसका संचालन सरकार ने किया, लेकिन वर्ष 2023 में इस गो अभयारण्य को राजस्थान के गो सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ को सौंपा दिया गया। यहां गायों का वर्गीकरण किया गया है। आयु व स्वास्थ्य की स्थिति के अनुसार गायों को अलग-अलग वर्ग में बांटकर उनकी देखरेख की जा रही है। यहां नस्ल सुधार को लेकर भी कवायद की गई है।