नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। 11 जुलाई से शुरू हो रहे सावन मास में इंदौर-उज्जैन रोड पर वाहनों और श्रद्धालुओं का भारी दबाव रहने वाला है। हर साल कावड़ यात्री नर्मदा नदी से जल लेकर पैदल उज्जैन के महाकाल मंदिर पहुंचते हैं। इस बार सड़क चौड़ीकरण के चलते मार्ग की हालत पहले ही चुनौतीपूर्ण है। वर्तमान में इंदौर-उज्जैन रोड को सिक्स लेन में बदला जा रहा है, जिसके कारण कई स्थानों पर डायवर्जन लागू है और बारिश से सड़क की स्थिति और बिगड़ रही है।
ऐसे में अभी से प्रशासन और पुलिस को पुख्ता प्लानिंग करना होगी। वहीं, जाम की स्थिति निर्मित नहीं हो और पैदल कावड़ यात्रियों की आवाजाही भी सुगम रहे इसके लिए भारी वाहनों को दिन में डायवर्ट या प्रतिबंधित करना होगा। एक सप्ताह पहले इंदौर-भोपाल मार्ग पर अर्जुन बडोद के पास फ्लाईओवर निर्माण के कारण तीन दिन का महाजाम लग गया था। इसको खुलवाने में पुलिस और प्रशासन को खासी मशक्त करना पड़ी थी। तीन दिन बाद भगवान भोलनाथ की आराधना का महापर्व सावन शुरू होने जा रहा है।
एक माह तक इंदौर-उज्जैन मार्ग पर वाहनाें और कावड़ यात्रियों का खासा दबाव रहेगा। ऐसे में आने वाले दिनों में ट्रैफिक जाम से बचाव के लिए प्रशासन और निर्माण एजेंसी को पुख्ता इंतजाम करने होंगे। पैदल आने वाले कावड़ यात्रियों की सुरक्षा के लिए भारी वाहनों के आवागमन की योजना तैयार करना होगी। उज्जैन रोड पर हिंगोनिया के आगे सड़क चौडीकरण का कार्य जारी है और यहां पर एक ही लाइन पर दोनों तरफ के वाहनों को डायवर्ट किया गया है। करीब तीन से चार किमी हिस्से में यह डायवर्शन है। एक ही लाइन पर वाहनों काे डायवर्ट करने से कई बार वाहनों की लंबी कतारे लग जाती है।
वहीं, दोपहिया और पैदल यात्रियों के लिए स्थान नहीं बचता है। यहां पर कावड़ यात्रियों के लिए अलग से वैकल्पिक व्यवस्था करना होगी। निर्माण के कारण सड़क किनारे किचड़ निर्माण कार्य और अन्य वजहों से सड़क के किनारे किचड़ और गढ्ढे हो गए हैं। इससे पैदल यात्री नीचे नहीं चल सकते और सड़क के किनारे दोपहिया वाहन चालकों को चलने में भी परेशानी होती है। कावड़ यात्रियों की सुरक्षा के लिए सड़क के नीचे किचड वाले स्थानों पर मुरम या बजरी डालकर पैदल मार्ग बनाया जाना चाहिए, ताकि वह आराम से इस पर चल सके और सड़क का उपयोग नहीं करे।
डायवर्जन वाले स्थानों पर पुलिस बल तैनात कर व्यवस्था बनाना चाहिए। दोगुनी हो जाती है वाहनों की संख्या इंदौर उज्जैन रोड़ पर आम दिनों में रोजाना 35 से 40 हजार वाहन गुजरते है। यह संख्या सावन माह में बढ़कर 70 से 80 हजार के पार पहुंच जाती है। सावन माह में वाहनों की संख्या दोगुना होने के साथ ही कावड़ यात्रियों की संख्या भी बढ़ती है, जो पैदल ही यात्रा करते है। लाखों कावड़ यात्री सावन माह में नर्मदा नदी से जल लेकर इंदौर होकर उज्जैन पहुंचते है। ऐसे ट्रैफिक जाम से बचाव और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के इंतजाम अभी से कमना चाहिए। यह व्यवस्था की जा सकती है
- डायवर्जन वाले स्थान पर कावड़ यात्रियों के लिए बनेगी अलग लेन।
- सावन में भारी वाहनों को दिन में करे प्रतिबंधित या डायवर्ट।
- डायवर्जन वाले हिस्से में कीचड़ और गढ्ढों की की जाए मरम्मत।
- यातायात पुलिस और अन्य टीमों की ड्यूटी यहां पर लगाई जाए।
- डायवर्जन पाइंट पर साफ नजर आने वाले संकेतक लगाए जाए।