लोकेश सोलंकी, इंदौर DAVV News Indore । देवी अहिल्या विवि के खजाने से भत्ते और मानदेय के नाम पर मनमानी जारी है। विवि के लेखा (अकाउंट) विभाग का मानदेय के नाम पर घोटाला सामने आया है। अकाउंट विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों को बजट तैयार करने के लिए साढ़े सात लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान मानदेय के रूप में कर दिया गया। यह राशि वेतन के अलावा है। मनमानी का आलम ये कि रिकार्ड में हेरफेर कर विवि के बाहर के एक व्यक्ति को भी रुपये दे दिए गए। एक सेक्शन आफिसर ने रिकार्ड में खुद को सहायक कुलसचिव बनाकर पैसा लिया। विवि के वित्त नियंत्रक तक का नाम भत्ता लेने वालों में शामिल है। छुट्टी तो दूर कोरोना काल के लाकडाउन की अवधि में भी ये सभी अतिरिक्त काम करते रहे और 363 दिनों से ज्यादा का मानदेय हासिल किया गया।
लेखा विभाग के 34 कर्मचारियों को बजट बनाने के लिए वेतन के अतिरिक्त मानदेय दिया गया। वित्त नियंत्रक दिलीप वर्मा, सहायक कुलसचिव यैदुर्यमणि तिवारी, सुरेश सिरसाठ और अशोक सेंगर को 110 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भत्ता मंंजूर किया गया। वर्मा और तिवारी की साल में कोई छुट्टी नहीं रही। इन्होंने पूरा भुगतान लिया। सेक्शन आफिसर सुरेश सिरसाठ को मानदेय के रिकार्ड पर सहायक कुलसचिव बताकर इसी दर से भत्ता दिया गया। रिटायर अधिकारी रहे अशोक सेंगर को ओएसडी के रूप में भत्ता दिया गया। और तो और मानदेय की शीट में रितेश दीक्षित नामक कर्मचारी के लिए भत्ता प्रदान करने की स्वीकृति देते हुए रुपया दे दिया गया। खास बात ये कि इस नाम का कर्मचारी ही विवि में नहीं है। दरअसल यूनिवर्सिटी ने बजट प्रस्ताव तैयार करने के लिए अलग से चार्टर्ड अकाउंटेंट की सेवाएं भी लेती है। विवि के रिकार्ड में कर्मचारी बताया गया रितेश असल में चार्टर्ड अकाउंटेंट के दफ्तर का सहायक है।
सिर्फ परीक्षा विभाग को अधिकार
असल में विवि में परीक्षा के कामों में जुटे कर्मचारियों को अतिरिक्त भत्ता देने का प्रावधान था। इसका लाभ लेकर धीरे-धीरे सभी विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपने तय वेतन के साथ अतिरिक्त मानदेय और भत्ता हासिल करने लगे। अनोखी बात ये कि भत्ता लेने के लिए ओवर टाइम का बंधन भी नहीं रखा गया। प्रतिदिन के हिसाब पूरे सालभर का भत्ता मंजूर किया जा रहा है।
हाल ये है कि अतिरिक्त भत्ता हासिल करने वालों की संख्या विवि में सैकड़ों में पहुंच गई है। ताजा मामले में तो कर्मचारी ने ज्यादा भत्ता पाने के लिए खुद का पदनाम भी रिकार्ड पर बदल दिया। वित्त नियंत्रक पर ऐसे प्रवृत्तियों पर नियंत्रण की जिम्मेदारी है लेकिन उन्होंने खुद ही अपना नाम मानदेय की सूची में जुड़वा लिया।
जांच के आदेश दे रहा हूं
मामला गंभीर है इसकी जांच के आदेश दे दिए गए हैं। नियमविरुद्ध लाभ लेने वालों पर कार्रवाई होगी और रिकवरी भी होगी।
- डॉ.अनिल शर्मा, कुलसचिव देवी अहिल्या विवि
मुझे तो चिकित्सा भत्ता भी नहीं मिलता
मैं किसी तरह का मानदेय नहीं लेता। यहां तक मुझे तो विवि चिकित्सा भत्ता तक नहीं देता।
- दिलीप वर्मा, वित्त नियंत्रक देवी अहिल्या विवि