- 11वें रेड पांडा डे पर आयोजित वेबिनार में मिली जानकारी
इंदौर (नईदुनिया रिपोर्टर)। जापान में पाया जाने वाला जॉइंट पांडा जिसे आज दुनियाभर में जाना जाता है, असल में उससे भी पहले भारत के रेड पांडा की खोज हो चुकी है। सिक्किम के इस राज्य पशु की स्थिति अब बहुत बेहतर नहीं है। यह विलुप्त प्रजाति में शामिल होता जा रहा है। वर्तमान में भारत के जंगलों में इसकी संख्या लगभग ढाई हजार ही बची है। इसकी संख्या को बढ़ाने के लिए देश नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। रेड पांडा से संबंधित यह जानकारी अवंतिका आधरूज ने 11वें रेड पांडा डे पर आयोजित वेबिनार में कही। शनिवार को एनिमल रिहेबिलेटेशन एंड प्रोटेक्शन फ्रंट (एआरपीएफ) संस्था द्वारा रेड पांडा विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया।
इस वेबिनार में रेड पांडा पर शोध कर रही अवंतिका आधरूज ने बताया कि रेड पांडा को जंगलों में देखना बहुत मुश्किल है क्योंकि यह शर्मिले स्वभाव के होते हैं। बांस के घने जंगलों में बहुत ऊंचाई पर रहने वाले इन रेड पांडा को सिक्किम, दार्जिलिंग और अरुणाचल प्रदेश के जंगलों में देखा जा सकता है। खास बात तो यह है कि यह जंगल ही नहीं बल्कि चिड़ियाघर में भी रह सकता है पर वहां रखने के लिए इसके मन मुताबिक हेबिटाट विकसित करना होगा। चिड़ियाघर में रखकर इसकी संख्या बढ़ाई भी जा सकती है। बांस के जंगलों में रहने वाला यह रेड पांडा बांस के पेड़ की ऊंचाई पर ही सोता भी है। सर्दी के दिनों में यह अपनी पूंछ से शरीर को ढंक लेता है और गर्मी के दिनों में यह पेड़ पर पैर लटकाकर सोता है। बांस की पत्तियों को बहुत चाव से खाने वाले इस खूबसूरत जानवर को हरी सब्जी, छोटे-छोटे कीड़े, छोटे पक्षी और उनके अंडे भी बहुत पसंद हैं। असल में इसका नाम भी इसके आहार के हिसाब से ही रखा गया है। पांडा एक नेपाली शब्द 'पोनया' से बना है जिसका अर्थ होता है बांस खाने वाला जानवर।
फोटोः रेड पांडा के नाम से हैं।