Tourist Places in Indore: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। इस शहर में बेशक कोई विशाल नदी नहीं बहती लेकिन शहर की एक दिशा में नर्मदा और दूसरी दिशा में शिप्रा की अविरल धारा जरूर बहती है और इन दोनों नदियों का संगम शहर के समीप ही उज्जैनी में बना हुआ है। देवगुराड़िया से करीब 10 किमी दूर उज्जैनी गांव में इन दो नदियों का संगम पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। इसकी वजह है इस स्थान का दिन ब दिन विकसित होना। एक वक्त था जब इस स्थान पर जाने वाले पर्यटकों की संख्या नगण्य थी, वहीं आज यहां सैलानियों का तांता लगा रहता है। बेशक यह स्थान सरकारी योजना के तहत विकसित किया गया है लेकिन इसका महत्व प्राकृतिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टी से है।
उज्जैनी यह वह स्थान है जहां से शिप्रा नदी का उद्गम हुआ है। जहां तक बात नर्मदा नदी की धारा के यहां आने की है तो यह कार्य भी सरकारी योजना के अंर्तगत 2016 में हुए सिंहस्थ के पूर्व किया गया था। बड़वाह के सिसलिया तालाब से उज्जैनी तक पाइपलाइन बिछाकर नर्मदा की धारा यहां लाई गई। इसके लिए चार पंपिंग स्टेशन बनाए गए जिनकी मदद से नर्मदा का धारा यहां तक लाई जा सके। सिंहस्थ में शिप्रा नदी का पानी कम न हो इसलिए नर्मदा को यहां लाकर उसे शिप्रा में मिलाया गया और इस तरह यह संगम तैयार हुआ। करीब 7-8 करोड़ रुपये में हुए इस कार्य का परिणाम यह हुआ कि जिस स्थान पर गाहे-बगाहे ही कोई आता था, वहां आज खासी संख्या में पर्यटक आते हैं और शिप्रा के साथ नर्मदा नदी क आराधना भी भक्त कर पाते हैं।
झरने के रूप में गिरता है नर्मदा का पानी
नर्मदा की धारा बेशक यहां पाइपलाइन के जरिए लाई गई है लेकिन उसे शिप्रा में मिलाने के लिए झरने का रूप दिया गया है। यहां कुंड भी बनाया गया है। पहले इस कुंड में स्नान आदि का लुत्फ भी पर्यटक लेते थे लेकिन अब यह प्रतिबंधित कर दिया गया है। चूंकि यह स्थान दो पवित्र नदियों का संगम होने के कारण आस्था का केंद्र है इसलिए यहां घाट भी बनाए गए हैं और कुंड में पर्व विशेष पर दीपदान की अनुमति धर्मावलंबियों को दी जाती है।
पिकनिक के लिए बेहतर स्थान
यह स्थान पिकनिक के लिए भी बेतहर है। यहां उद्यान भी बना दिया गया है जहां खुले में बैठकर आप परिवार के साथ वक्त बिता सकते हैं और प्राकृतिक नजारों का आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा यहां झोंपड़ीनुमा शेड भी बनाए गए हैं जो धूप और बरसात से पर्यटकों को बचाते हैं। सोलो ट्रेवलर आनंद सिंह बताते हैं कि पहले जब वे यहां आते थे तब यहां किसी प्रकार की सुविधा नहीं थी और अब पर्यटकों के लिए बहुत कुछ सुविधा और दर्शनीय वातावरण निर्मित हो गया है। यहां अपने वाहन से पहुंचा जा सकता है और यहां जाने वाले अपने साथ खान-पान की सामग्री लेकर जाएं। यहां बने कुंड में पूजन करने की अनुमति है लेकिन उसे दूषित नहीं करें और कोशिश करें कि अंधेरा होने से पहले शहर में आ जाएं।
फोटो: राजू पवार