
Paper Pen: हर्षल सिंह राठौड़, इंदौर। महामारी के दौर में कई परिवारों के सामने रोजगार की समस्या खड़ी हुई। ऐसे में हरेक ने नए अवसर तलाशे। ऐसा ही एक अवसर शहर की महिला ने तलाशा और अपने हुनर को दूसरों तक पहुंचाकर न केवल उन्हें रोजगारोन्मुख बनाया, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाना भी बताया। रचनात्मकता को हथियार बनाकर पर्यावरण हितैषी कलम बनाई और अब इसकी मदद से जरूरतमंद महिलाएं स्वावलंबन की इबारत लिख रही हैं। कागज के पेन तैयार कर आत्मनिर्भता की ओर बढ़ने वाली 200 महिलाएं हैं, जो यह प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी हैं और उनमें से कई रोजगार भी प्राप्त कर रही हैं।
महिलाओं को पेन तैयार कर रोजगार दिलाने का काम समाज सेविका शालिनी रमानी कर रही हैं। शालिनी बताती हैं कि पहले लाकडाउन के वक्त उनके संपर्क में कुछ ऐसे परिवार आए जिनके पास भोजन भी पर्याप्त नहीं था। जब उन्होंने कुछ परिचितों से उन परिवारों को भोजन आदि की सहायता देने की बात कही तो सकारात्मक जवाब नहीं मिला। तब लगा कि जरूरतमंदों को दान के बजाए स्वावलंबी बनाकर मदद दी जाए। उस वक्त कागज के पेन बनाने का विचार मन में आया क्योंकि कागज आसानी से उपलब्ध थे और उससे पेन बनाना भी आसान था। तब कुछ महिलाओं को कागज से पेन बनाने का प्रशिक्षण दे पेन बेचना शुरू किया। एक और पहल की गई जिसमें पेन बाजार में बेचने के स्थान पर कंपनियों, संस्थाओं के लिए तैयार करना शुरू किया और सफलता मिलने लगी। महिलाओं द्वारा तैयार पेन को बाजार उपलब्ध कराने के लिए आपकी मुस्कान जनजागृति समिति बनाई गई।

200 महिलाओं को दिया प्रशिक्षण
कागज के पेन बनाने का लाभ यह भी हुआ कि लोगों ने इसे प्रकृति हितैषी मानकर स्वीकारा, क्योंकि इसमें प्लास्टिक के नाम पर केवल पेन की रिफिल ही है। पहले रद्दी कागज से पेन बनाते थे, लेकिन आकर्षक नहीं होने के कारण उसकी ज्यादा कीमत नहीं मिल पाती थी। बाद में क्राफ्ट पेपर से पेन बनाना शुरू किया जो लोगों को पसंद भी आने लगे। मालवा मिल, एमआर 10 स्थित ईंट बस्ती, जिंसी, सिकंदराबाद क्षेत्र में महिलाओं द्वारा यह पेन तैयार किए जा रहे हैं। इन क्षेत्रों मे कुल 200 महिलाओं को पेन बनाने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। यह पेन बनाकर उसे बेचकर एक महिला एक दिन में करीब 200 रुपये कमा लेती है। वर्तमान में सक्रिय रूप से करीब 30 महिलाएं संस्था के साथ जुड़कर प्रतिदिन पेन बना रही हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही हैं। कई महिलाएं अपने स्तर पर भी यह कार्य कर रही हैं।
बन रहे हैं कस्टमाइज पेन भी
संस्था द्वारा कंपनियों के लिए पेन बनाए जा रहे हैं, जिनपर उन कंपनियों का नाम अंकित रहता है। जितनी राशि समिति को दी जाती है उतनी राशि के हिसाब से पेन उन कंपनियों को दे दिए जाते हैं। एक पेन का बाजार मूल्य 10 रुपये है और उसके अनुरूप पेन संबंधित कंपनी या व्यक्ति को दे दिए जाते हैं।