नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। सिंहस्थ 2028 के पहले उज्जैन को जोड़ने वाली आउटर रिंगरोड परियोजना में 50 हेक्टेयर वनभूमि आएगी। इस परियोजना के लिए पर्यावरण अनुमति का इंतजार किया जा रहा है। अगले एक महीने में रीजनल इंपावरमेंट कमेटी की सहमति मिलने की संभावना है। इसके बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) सड़क निर्माण का कार्य आरंभ कर सकेगा। दिसंबर से पश्चिमी रिंग रोड का निर्माण शुरू किया जाएगा।
इस परियोजना के तहत बनने वाली आउटर रिंगरोड में लगभग 50 हेक्टेयर वनभूमि शामिल होगी, जिसमें करीब सात हजार पेड़ों को काटा जाना है। शुक्रवार को हुई रीजनल इंपावरमेंट कमेटी की बैठक में एनएचएआई अधिकारियों ने वन विभाग की सभी आपत्तियों का समाधान कर दिया है। अब कमेटी की ओर से औपचारिक हरी झंडी मिलना बाकी है। बताया जा रहा है कि अनुमति से संबंधित बिंदुओं को जल्द ही ऑनलाइन किया जाएगा, जिसके बाद एनएचएआई आगे की कार्रवाई शुरू करेगा।
पश्चिमी रिंगरोड की कुल लंबाई 64 किलोमीटर होगी, जिस पर लगभग 1500 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। यह सड़क 638 हेक्टेयर भूमि से होकर गुजरेगी, जिसमें इंदौर और धार वनमंडल की लगभग 50 हेक्टेयर वनभूमि शामिल है। इंदौर क्षेत्र में 40 हेक्टेयर और धार में आठ से 10 हेक्टेयर वनभूमि चिह्नित की गई है। सड़क का मार्ग मऊ से हातोद होते हुए क्षिप्रा तक जाएगा और यह बेटमा, सांवेर और तराना जैसे क्षेत्रों से होकर गुजरेगा।
पूर्वी रिंगरोड का निर्माण डकाच्या से पीथमपुर तक किया जाएगा, जो लगभग 77 किलोमीटर लंबा होगा। इसे दो हिस्सों में बनाया जाएगा। एक हिस्सा 38 किलोमीटर और दूसरा 39 किलोमीटर लंबा होगा। यह सड़क कंपेल, खुड़ैल, तिल्लौर, बड़गोंदा, पीथमपुर सहित 38 गांवों से होकर गुजरेगी। एनएचएआइ इस परियोजना का सर्वे कर रही है और इसे 40 महीने के भीतर यानी मार्च 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
आउटर रिंगरोड के लिए कमेटी की बैठक हो चुकी है। जल्द ही पर्यावरण अनुमति मिल सकती है। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। वैसे दिसंबर से पश्चिमी रिंगरोड का काम शुरू किया जाएगा। -प्रवीण यादव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई