
World Brain Tumor Day : इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। 35 लाख की जनसंख्या वाले इंदौर में दो दर्जन न्यूरो सर्जन भी नहीं हैं, जबकि बदलती जीवन शैली के कारण ब्रेन ट्यूमर के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। डाक्टर भी मानते हैं कि यह रोग दबे पैर दस्तक देता है। इसके वास्तविक कारणों का आज तक पता नहीं चल सका। दिमाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि यानी ब्रेन ट्यूमर। ये दो तरह के होते हैं। एक सामान्य ट्यूमर और दूसरे कैंसर वाले ट्यूमर। समय पर उपचार मिल जाए तो दोनों तरह के ट्यूमर का इलाज संभव है।
न्यूरो सर्जन डा. प्रणव घोड़गांवकर के अनुसार यह रोग किसी को भी हो सकता है। हालांकि बच्चों को इसके होने की आशंका कम रहती है। 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोग आसानी से शिकार बन जाते हैं। ब्रेन ट्यूमर कई बार बिना किसी लक्षण के भी हो सकता है। कुछ मामले ऐसे भी देखने को मिले हैं जिनमें मरीज को ब्रेन ट्यूमर का कोई लक्षण नहीं था। मरीज अचानक गश खाकर गिर पड़ा। जांच में पता चला कि उसे ब्रेन ट्यूमर है।
सुविधाएं बढ़ी हैं - कोशिकाओं का असामान्य गुच्छा सामान्य कोशिकाओं पर दबाव डालता है या उन्हें नष्ट करने लगता है। दोनों ही स्थितियां असामान्य होती हैं। न्यूरो सर्जन डा. दीपक कुलकर्णी के अनुसार कुछ दशक पहले तक ब्रेन ट्यूमर का पता लगाना आसान नहीं होता था, लेकिन अब अत्याधुनिक मशीनों की वजह से ब्रेन ट्यूमर का पता लगाना और इलाज करना आसान हो गया है। आइसीयू में रोगियों की देखभाल अच्छे से होने लगी है। इससे ट्यूमर के आपरेशन के बाद अच्छे परिणाम मिलने लगे हैं।
सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में अब तक नहीं है न्यूरो सर्जन - न्यूरो सर्जन की कमी को इससे भी समझा जा सकता है कि सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के लिए बार-बार विज्ञप्ति जारी करने के बावजूद शासन को कोई न्यूरो सर्जन नहीं मिल रहा। यही वजह है कि यहां न्यूरो सर्जरी विभाग में आपरेशन शुरू नहीं हो पा रहे हैं। सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल प्रभारी डा. सुमित शुक्ला ने बताया कि न्यूरो सर्जन की नियुक्ति होने के बाद अस्पताल में कई सुविधाएं शुरू कर दी जाएंगी। इधर स्वास्थ्य विभाग के हालात भी अच्छे नहीं हैं। किसी भी शासकीय अस्पताल में न्यूरो सर्जन पदस्थ नहीं हैं।
ये हैं सामान्य लक्षण - सिरदर्द, उल्टी होना, दो-दो दिखना, नजर लगातार कमजोर होना, मिर्गी के दौरे, पक्षाघात आदि।