इटारसी नवदुनिया प्रतिनिधि।
श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कड़गंज में सातवें दिन भगवान शिव के पार्थिव स्वरूप का पूजन एवं रुद्राभिषेक किया गया। सावन मास में पार्थिव शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व है, इस कारण अविवाहित युवतियां और महिलाएं पार्थिव शिवलिंग का पूजन करती है। मुख्य आचार्य पं. अतुल कृष्ण मिश्र ने पूजन एवं रूद्राभिषेक के पूर्व भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि सावन का महीना भगवान भोलेनाथ के नाम से ही जाना जाता है। उन्होंने कहा कि शिव महापुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र प्राप्ति होती है, वहीं मानसिक और शारारिक कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है।
पं. अतुल कृष्ण मिश्र ने शिव के पार्थिव स्वरूप के पूजन पर कहा कि कलियुग में इसकी शुरूआत कुष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप ने की थी। मंडप पूरे सावन मास भर रेत के शिवलिंग अपनी हथेली पर बनाकर उसका पूजन और अभिषेक करते थे। बालक मंडप की शिव भक्ति से प्रसन्ना होकर भगवान भोलेनाथ ने उसे वरदान मांगने को कहा परंतु मंडप ने बिना विचलित हुए धन और संपत्ति मांगने की वजह भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति मांगी। भगवान भोलेनाथ ने उसे तथास्तु कहा। शिव पूजन के समय मंडप को सर्वप्रथम याद किया जाता है। मिश्र ने कहा कि भगवान शिव के पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है भगवान शिव की आराधना के लिए पुरूष या महिला कोई भी हो वह पूजन कर सकती है।
उन्होंने कहा कि यह सभी जानते है कि शिव कल्याणकारी है, जो भी व्यक्ति या महिला पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधिवत पूजन एवं अभिषेक करता है वह 10 हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है। उन्होंने कहा कि शिव पुराण में स्पष्ट लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। यदि प्रतिदिन पार्थिव पूजन किया जाए तो इस लोक तथा परलोक में भी अखंड शिव भक्ति मिलती है। मिश्र ने कहा कि पुरूष या महिला जो शारीरिक रोगी है उन्हें इस महीने में स्वंय या किसी कर्मकांडी ब्राम्हण के माध्यम से महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराना चाहिए ।
मुख्य आचार्य अतुल कृष्ण मिश्र के साथ सत्येंद्र पांडे, पीयूष पांडे, आनंद दीक्षित, सुनील दुबे शिक्षक पार्थिव शिवलिंग पूजन में पूर्ण सहयोग कर रहे है।
श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कड़गंज इटारसी में पार्थिव शिवलिंग एवं रूद्राभिषेक के अवसर पर शेष मेहरा एवं मोनिका मेहरा, सौरभ सराठे, जित्तू ठाकुर , आयुष कुशवाह ने यजमान के रूप में पूजन अर्चन किया।