इटारसी नवदुनिया प्रतिनिधि।
पश्चिम मध्य रेलवे ने गरीब रथ एक्सप्रेस के रेक में अब हेड आन जनरेशन तकनीक का प्रयोग शुरू किया है, इस तकनीक के जरिए हर साल करीब 5 लाख लीटर डीजल की बचत एवं वायु प्रदूषण में कमी आएगी। भारतीय रेल ऊर्जा की बचत के लिए तेजी से काम कर रही है, जिसमें पश्चिम मध्य रेल भी अहम भूमिका निभा रही है। इसी तारतम्य में अप्रेल 2021 को 100 फीसद विद्युतीकरण के साथ पश्चिम मध्य रेल पहला जोन बन गया था। अब हेड ऑन जनरेशन तकनीक पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स, नियंत्रण प्रणाली और पॉवर सप्लाई प्रणाली द्वारा उच्च तकनीक के उपयोग को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। इसी उच्च तकनीक पर आधारित हेड ऑन जनरेशन तकनीकी की शुरूआत हुई, जिसे रेलवे में तेजी से उपयोग किया जा रहा है। इस हेड ऑन जनरेशन तकनीक को हॉटेल लोड के नाम से भी जाना जाता है। हेड ऑन जनरेशन तकनीकी में दो चीजें प्रमुख होती है। हेड ऑन जेनरेशन कंप्लाइन्ट लोकोमोटिव और हेड ऑन जनरेशन कंप्लाइन्ट रेक होते है।
गाड़ी नं. 02187-02188 जबलपुर-सीएसएमटी-जबलपुर गरीबरथ एक्सप्रेस में पॉवर कार प्रणाली (ईओजी) को बदलकर हेड ऑन जनरेशन प्रणाली (एचओजी) कर दिया गया है। जिसमें कोचों की विघुत सप्लाई की आपूर्ति हेड ऑन जनरेशन के माध्यम से विघुत इंजन द्वारा की जाएगी। गरीब रथ एक्सप्रेस जबलपुर से छत्रपति शिवाजी टर्मिनस एवं वापसी यात्रा के दौरान लगभग 3000 लीटर डीजल ईधन की खपत होती थी। हेड ऑन जनरेशन से संचालित रेलगाड़ियों द्वारा डीजल ईंधन की बचत होगी साथ ही ध्वनि एवं वायु प्रदूषण से भी राहत मिलेगी। गरीबरथ एक्सप्रेस को हेड ऑन जनरेशन सिस्टम में परिवर्तित कर हर साल करीब 5 लाख लीटर डीजल प्रतिवर्ष बचेगा, साथ ही रेलवे को 4 करोड़ की वार्षिक बचत होगी। पश्चिम मध्य रेल में पिछले दो सालों में 25 लाख लीटर डीजल फ्यूल बचाकर 20 करोड़ राजस्व की बचत होगी, जो देश के विकास में सहायक सिद्द होगा। पश्चिम मध्य रेल में आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा एक्सप्रेस गाड़ियों में हेड ऑन जनरेशन प्रणाली में परिवर्तित करने का प्रयास जारी है।