Itarsi Railway News: भीषण गर्मी में पटरियां फैलने का खतरा, रेलवे ने बढ़ाई पेट्रोलिंग
गर्मी में हर किमी पर पटरियों की फिटनेस पर नजर रखी जा रही है। सभी गर्डर पुलों एवं मोड़ पर विशेष निगरानी रखी जा रही है।
Publish Date: Tue, 28 May 2024 03:56:23 PM (IST)
Updated Date: Tue, 28 May 2024 03:56:23 PM (IST)

नवदुनिया प्रतिनिधि, इटारसी। पूरे देश के साथ ही मप्र में भी गर्मी कहर ढा रही है। आलम यह है कि कई शहरों का तापमान 45-48 डिग्री का आंकड़ा छू रहा है। आने वाले दिनों में गर्मी के तेवर ओर ज्यादा तीखे होने की आशंका है। भीषण गर्मी में जहां लोग बेहाल हैं, वहीं रेलवे अधिकारियों की चिंता भी बढ़ गई है। अत्याधिक तापमान में रेल पटरियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है, ऐसी हालत में तेज रफ्तार से भागने वाली ट्रेनों के हादसे का शिकार होने का खतरा है। हालात को देखते हुए रेलवे ने दिन एवं रात में अतिरिक्त पेट्रेालिंग यानि गश्ती दल तैनात कर दिया है। हर किमी पर पटरियों की फिटनेस पर नजर रखी जा रही है।
सामान्य दिनों में भी रेलवे ट्रैक की निगरानी यानि अनुरक्षण के लिए गश्ती दल तैनात रहता है, लेकिन कड़ाके की ठंड एवं भीषण गर्मी में इसकी निगरानी बेहद जरूरी हो जाती है। अधिकारियों का कहना है कि अत्याधिक तापमान कम होने पर ठंड में लोहे की पटरियां सिकुड़ जाती हैं, वहीं तेज गर्मी में तापमान बढ़ने से पटरियां फैल जाती हैं, दोनों ही स्थिति सुरक्षित परिचालन में बड़ा खतरा है। इसे लेकर पेट्रोलिंग बढ़ाई गई है।
एक अधिकारी ने बताया कि गर्मी के दिनों में जब तापमान बढ़ता है तो खुले आसमान के नीचे बिछी पटरियां फैलने का डर रहता है। खासतौर पर लांग बेल्डेड मतलब लंबी दूरी तक बिछे ट्रैक की सुरक्षा खतरे में आ जाती है। सुरक्षा की दृष्टि से पश्चिम मध्य रेलवे के सभी रूट पर हाट वेदर पेट्रोलमेन ग्रीष्मकालीन गश्ती दल तैनात किया गया है। सभी गर्डर पुलों एवं मोड़ पर विशेष निगरानी रखी जा रही है।
पेट्रोलिंग स्टाफ की हालत खराब
इधर दिन एवं रात में पेट्रोलिंग करने वाले रेलकर्मियों की हालत भी खराब है। भीषण गर्मी में तेज धूप, लू के थपेड़ों के बीच कर्मचारी ट्रैक पर चलते हैं, हालांकि इन्हें रेलवे से जूते एवं अन्य उपकरण दिए जाते हैं, लेकिन गर्मी की तपिश इतनी ज्यादा है कि पटरियों पर चलने में कर्मचारियों का दम फूलने लगता है। रात में भी पेट्रोलिंग पर जो स्टाफ जाता है, उसे उमस महसूस होती है। अपने सेक्शन में करीब 10-12 किमी पैदल चलकर रेलकर्मी रेल पथ की जांच करते हैं, यदि कहीं टूट फूट नजर आती है तो तत्काल संबधित अधिकारियों को जानकारी दी जाती है।
यहां ध्यान दे रहा रेलवे
जिन स्थानों पर गिट्टी कम है उन स्थानों पर गिट्टी की आपूर्ति बढ़ाई गई है, चूंकि गिट्टी कम होने से ट्रेक धंसकने का डर रहता है, साथ ही जरूरत पड़ने पर बैलास्ट क्लीनिंग मशीन के माध्यम से गिट्टी की छनाई का काम कराया जा रहा है।
फील्ड अधिकारियों एवं सुपरवाइजरों द्वारा ट्रैक का लगातार निरीक्षण किया जा रहा है।
इंजीनियरिंग, टीआरडी, एवं सिग्नल विभाग अपने सेक्शन में कार्यरत कर्मचारियों को सुरक्षा सेमिनार, कार्यशाला आयोजित कर इन दिनों में रखी जाने वाली सावधानियां बता रहा है।
ट्रैक की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर संरक्षा अभियान चलाए जा रहे हैं।