
इटारसी नवदुनिया प्रतिनिधि।
अपने परिवार के साथ गोरखपुर से मुंबई जा रहा एक नेपाली चौकीदार बुधवार रात चलती ट्रेन से गिर गया, ट्रेन के पहियों की चपेट में आने से उसके दोनों पैर कट गए थे। ट्रैक किनारे काफी देर वह जख्मी हालत में पड़ा रहा, इससे उसकी हालत बिगड़ गई। आरपीएफ-जीआरपी एवं डायल 100 का स्टाफ उसे अस्पताल लेकर आया, लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी।
मुबंई में करता था चौकीदारीः ग्राम लमकी जिला कैलानी नेपाल निवासी 27 वर्षीय तेजबहादुर मांझी कैलाली बिल्डिंग दुंबोली मुंबई में चौकीदारी करता था। तेजबहादुर अपने गांव गया था। अपनी पत्नी सुमित्रा बाई और साली आयशा पठान के साथ बुधवार सुबह 6 बजे गोरखपुर से मुबंई के लिए ट्रेन में सवार हुआ। रात करीब 9ः30 बजे इटारसी से ट्रेन चली थी। सामान्य कोच में पेंट्रीकार वेंडर आया था, खाना लेने के लिए तेजबहादुर उसे देखने गया था, वेंडर नहीं मिला तो तेजबहादुर बोगी के गेट पर खड़ा हो गया। अचानक ट्रेन के ब्रेक लगे तो तेजबहादुर ट्रेन से गिर गया। बर्थ पर उसका परिवार इस हादसे से बेखबर करीब 8 किमी दूर तक पहुंच गया था। जब गेट पर तेजबहादुर नहीं मिला तो अंदेशा होने पर चेन पुलिंग की गई। पुलिस के अनुसार यदि हादसा दिन में होता तो जख्मी चौकीदार को तत्काल देख लिया जाता। पुलिस के पहुंचने और अस्पताल लाने में काफी वक्त लग गया, इस दौरान उसकी हालत बिगड़ गई थी। अस्पताल लाने के कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। जांच अधिकारी शिवप्रसाद तिवारी ने कहा शव का पीएम कराने के बाद स्वजनों को दिया गया है। पत्नी ने बताया पूरा परिवार नेपाल में है, इसलिए अंतिम संस्कार के लिए शव नेपाल ले जाएंगे। मृतक चौकीदार के पिता बुजुर्ग हैं, इसलिए अंतिम संस्कार के लिए यहां नहीं आ सकेंगे। साली आयशा अपने तीन बच्चों अफरीन, कौशल, साफा के साथ मुंबई जा रही थी। वहां से उसे हैदराबाद जाना था, लेकिन रास्ते में यह हादसा हो गया। मृतक तेजबहादुर की एक लड़की प्रिया एवं बेटा रिदम है, हालांकि दोनों सफर में नहीं थे।
मदद के लिए आए यात्री पर जंगली सुअर का हमलाः
सुमित्रा बाई की बहन आयशा ने बतायाकि इटारसी से ट्रेन चलने के बाद कुछ गिरने की आवाज आई थी, हमने यह नहीं सोचा था कि तेजबहादुर गिर गया है। करीब 8 किमी दूर जंगल में ट्रेन पहुंच गई थी। जब गेट पर जाकर देखा तो तेजबहादुर गेट पर नहीं था। मौके पर चेन खींचकर रोकी गई। यहां रेलकर्मियों का केबिन था, मदद के लिए एक यात्री भी आया था। हम लोग पैदल आ रहे थे, तभी जंगल में एक जंगली सुअर ने मददगार युवक पर हमला कर दिया, इससे घबराकर वह भी ट्रेन में लौट गया। रेलकर्मियों ने दूसरी साइड से आ रही ट्रेन में बैठाकर सुमित्राबाई को भेजा, रास्ते में खून से लथपथ तेजबहादुर मिला। पुलिस को भी रेलकर्मियों ने खबर दी थी, उसे अस्पताल लेकर आए, जहां उसकी मौत हो गई। पुलिस के अनुसार तेजबहादुर के पैर कटने के अलावा सिर में भी गंभीर चोट थी।
पुलिसकर्मी होते रहे परेशानः
जंगल में मिले रेलकर्मियों ने हादसे की खबर डायल 100 एवं आरपीएफ को दी थी, इसके बाद तेजबहादुर को तलाशने में पुलिसकर्मी काफी देर तक परेशान हुए। अंधेरा होने के कारण काफी दिक्कत हुई। खंभा नं. 742 जीसी फोर के पास यह हादसा हुआ। गेट पर खड़े होने के चक्कर में चौकीदार अपनी जान गंवा बैठा।