Sartaj Singh: चला गया राजनीति का 'सरताज', आखिरी चुनाव छोड़ हमेशा सिर पर रहा अजेय योद्धा का ताज
वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद सरताज सिंह का परिवार इटारसी आकर बस गया था। केंद्र में अटल जी की 13 दिन की सरकार में मंत्री रहे थे सरताज सिं ...और पढ़ें
By Ravindra SoniEdited By: Ravindra Soni
Publish Date: Thu, 12 Oct 2023 01:12:18 PM (IST)Updated Date: Thu, 12 Oct 2023 01:12:18 PM (IST)

इटारसी, नवदुनिया प्रतिनिधि। जनसंघ के दौर से कर्मठ, समर्पित योद्धा कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह का गुरुवार सुबह भोपाल में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से भाजपा में शोक की लहर है। पिछले विस चुनाव में टिकट कटने से नाराज होकर वे कांग्रेस में चले गए थे, लेकिन हार के कुछ समय बाद उन्होंने भाजपा में वापसी कर ली थी।
अटल की 13 दिन की सरकार में बने थे मंत्री
सरताज सिंह पांच बार के सांसद और दो बार के विधायक थे। वह दो बार नगरपालिका अध्यक्ष भी रहे। केंद्र में अटल जी की 13 दिन की सरकार में उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी बनाया गया था। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी से सिवनी मालवा की टिकट नहीं मिलने पर वे भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे। पार्टी ने उम्र का हवाला देकर टिकट काटा था, जिसके बाद वे कांग्रेस के टिकट पर नर्मदापुरम से चुनाव लड़े। नर्मदापुरम में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा. सीतासरन शर्मा ने उन्हें पराजित कर दिया, जबकि सीतासरन को राजनीति में लाने का श्रेय सरताज सिंह को ही जाता है। चुनाव हारने के कुछ समय बाद वह वापस भाजपा में आ गए थे। थे। इस हार के बाद वे सक्रिय राजनीति से दूर हो गए थे।
देश विभाजन के बाद इटारसी आकर बस गया था परिवार
वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद सरताज सिंह का परिवार इटारसी आकर बस गया था। साल 1960 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की, बाद में वे हरी विष्णु कामथ के संपर्क में आकर सक्रिय राजनीति में उतर गए।
ऐसा रहा सियासी सफर
इटारसी नगर पालिका से साल 1971 में सरताज सिंह नगर पालिका के कार्यवाहक नगर पालिका अध्यक्ष बने। शुरुआत पार्षद बनकर की। सिंह को अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया। सिवनी मालवा से जीतकर वे लगातार साल 2008 से 2016 तक दस साल मप्र में लोक निर्माण विभाग एवम कैबिनेट में वन मंत्री भी रहे। मप्र सरकार में मंत्री रहे। केंद्र में एक बार स्वास्थ्य मंत्री और प्रदेश में वन व लोक निर्माण मंत्री रह चुके हैं। इससे पहले नर्मदापुरम नरसिंहपुर संसदीय क्षेत्र से 1989 से 1996 तक की अवधि में तीन बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रामेश्वर नीखरा को लगातार हराकर संसद तक पहुंचे। सिंह ने एक चुनाव में साल 1998 में कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह को भी हराया था। साल 1999 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा, इसके बाद साल 2004 में फिर लोकसभा चुनाव जीता।
कांग्रेस के गढ़ में लगाई सेंध
कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली जिले की सिवनी मालवा विधानसभा सीट से साल 2008 में लड़कर उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी व तत्कालीन विधानसभा उपाध्यक्ष हजारी लाल रघुवंशी को हराया। 2013 के विधानसभा चुनाव में वे फिर जीतकर आए और मंत्री बने। पिछले चुनाव में उन्हें सीतासरन शर्मा ने करीब 12 हजार मतों से पराजित कर दिया था।