नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। शहर के रैपुरा क्षेत्र में घोड़ों की रहस्यमयी मौतों के बीच अब ग्लैंडर्स बीमारी (Glanders Disease) की आशंका ने प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग को अलर्ट कर दिया है। हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (National Research Centre on Equines, Hisar) से आई ताजा रिपोर्ट में दो घोड़ों के ब्लड सैंपल की जांच के बाद एक घोड़े (ID 644) में ग्लैंडर्स के लक्षण पाए गए हैं। हालांकि रिपोर्ट में इसे "बॉर्डरलाइन जीरो पॉजिटिव" बताया गया है।
डॉक्टरों का कहना है कि यह लक्षण पूरी तरह पुख्ता संक्रमण की पुष्टि नहीं करते, लेकिन सतर्कता बरतना आवश्यक है। जिस घोड़े में यह लक्षण मिले हैं, उसे पहले से ही आइसोलेशन में रखा गया है और उसकी नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है। डॉक्टरों की टीम सुबह से शाम तक निगरानी में लगी है।
हैदराबाद से जबलपुर लाए गए कुल 57 घोड़ों में से अब तक 10 की मौत हो चुकी है। जिन दो घोड़ों के सैंपल दोबारा हिसार भेजे गए थे, उनमें से एक की रिपोर्ट आने से पहले ही मौत हो गई, जबकि दूसरे की रिपोर्ट शुक्रवार को प्राप्त हुई है। इस रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन ने ग्लैंडर्स नियंत्रण प्रोटोकॉल (Glanders Protocol) लागू कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, इस बीमारी में सांस लेने में तकलीफ, रक्त में गड़बड़ी और शरीर पर घाव जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह बीमारी इंसानों में भी फैल सकती है, इसलिए घोड़ों के साथ काम कर रहे सात से अधिक वेटरनरी डॉक्टरों और सहायक कर्मचारियों को भी अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं।
डॉ. ज्योति तिवारी, सहायक उपसंचालक, वेटरनरी विभाग, जबलपुर ने बताया कि घोड़ा फिलहाल स्वस्थ है, लेकिन प्रोटोकॉल के तहत पूरी सतर्कता बरती जा रही है। “हम ग्लैंडर्स की पुष्टि होने तक सभी ऐहतियाती कदम उठा रहे हैं। जैसे ही पुष्टि होती है, केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय गाइडलाइन के तहत नोटिफिकेशन भी जारी किया जाएगा।”
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर इस बीमारी को समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो यह अन्य जानवरों और संभवतः इंसानों के लिए भी खतरा बन सकती है। घोड़ों में तेजी से फैलने वाली यह बीमारी कोरोना वायरस जैसी संक्रामक प्रकृति वाली मानी जाती है।