नईदुनिया, जबलपुर। जबलपुर में हर साल 12 से 13 करोड़ रुपये सिर्फ पेयजल आपूर्ति के नाम पर खर्च किए जाते हैं। फिर भी आम लोगों को गंदा और मटमैला पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। यह मुद्दा अब विधानसभा तक पहुंच गया है, जहां विधायक लखन घनघोरिया ने सरकार से कड़े सवाल किए हैं। क्या अब इस गड़बड़ी पर कोई सख्त कार्रवाई होगी
जबलपुर शहर में पेयजल आपूर्ति को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। विधानसभा सत्र में यह मुद्दा जोर-शोर से उठा, जब पूर्व क्षेत्र के विधायक लखन घनघोरिया ने बताया कि हर साल लगभग 12 से 13 करोड़ रुपये जल आपूर्ति पर खर्च किए जाते हैं, बावजूद इसके शहरवासियों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं हो रहा है।
घनघोरिया ने विधानसभा में आरोप लगाया कि भोंगाद्वार जलशोधन संयंत्र से अभी भी गंदे और मटमैले पानी की आपूर्ति की जा रही है। उनका कहना था कि यह सीधे तौर पर नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार इन गड़बड़ियों की जांच कर दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करेगी?
विधायक ने सरकार से यह भी जानना चाहा कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी जल आपूर्ति व्यवस्था में सुधार क्यों नहीं हो पाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस पूरी व्यवस्था में भ्रष्टाचार हुआ है, जिसे छिपाने की कोशिश की जा रही है।
इस पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जवाब देते हुए कहा कि जबलपुर शहर के सभी जलशोधन संयंत्रों की सफाई नियमित रूप से की जाती है। सफाई और रखरखाव पर हर साल लगभग 23 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं। उन्होंने यह दावा किया कि भोंगाद्वार या किसी अन्य जलशोधन संयंत्र से प्रदूषित पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है।