Railway News: अतुल शुक्ला, जबलपुर। पटरियों पर सुरक्षित ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी लेकर चलने वाले ड्राइवर तनाव में हैं। इनका तनाव दूर करने के लिए रेलवे द्वारा अब तक उठाए गए कदम नाकाफी साबित हुए हैं। पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर, भोपाल और कोटा मंडल की सीमा से गुजरने वाली ट्रेनों को सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाने वाले इन ड्राइवरों से रेलवे आठ घंटे की बजाय 11 से 14 घंटे तक ट्रेनें चलवाई जा रही हैं। वो भी तनाव भरे माहौल में। जबलपुर रेल मंडल में ड्राइवरों का इतना बुरा हाल है कि उन्हें मेमो जारी कर निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे ट्रेन को स्टेशन तक पहुंचा, चाहे इसमें उन्हें कितने भी घंटे लगे। इधर पटरियों की सुरक्षा करने वाले ट्रैकमेन के पद भी खाली हैं। इनकी भरपाई करने के लिए हर साल निजी कर्मचारियों को पटरियों की सुरक्षा में तैनात किया जा रहा है। हकीकत यह है कि तनाव भरे माहौल में काम करने की वजह से हर साल लगभग 15 से 20 ड्राइवर मेडिकल अनफिट होकर दूसरे विभाग में बाबू का काम कर रहे हैं। यही हाल ट्रैकमेन के साथ है।
पश्चिम मध्य रेलवे के तीनों रेल मंडल में सबसे ज्यादा बुरे हालात जबलपुर रेल मंडल में है। जबलपुर में जहां सहायक ड्राइवर और ड्राइवर के लगभग 2735 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 2025 पद भरे गए हैं। इनमें लगभग 705 पद वर्तमान में खाली हैं। इधर ट्रैकमेन की बात करें तो मंडल में 5266 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से लगभग 4065 ही भरे गए हैं। इसमें अभी भी लगभग 1201 पद खाली है। वहीं भोपाल मंडल में सहायक ड्राइवर और ड्राइवर के लगभग 1800 पदों में 1650 पद भरे हैं। इधर कोटा में भी जबलपुर मंडल से अच्छी स्थिति है। यह पर 1500 पद में सभी भरे हैं। जबलपुर रेल मंडल में इन पदों को भरने की कवायद कई बार शुरू की, लेकिन सफलता नहीं मिले। वर्तमान में जबलपुर मंडल में लगभग 165 पद सहायक ड्राइवर के पद स्वीकृत हुए हैं, जिनकी भर्ती होने जा रही है, लेकिन यह भर्ती कब तक पूरी होगी, फिलहाल पता नहीं है।
जबलपुर रेल मंडल की सीमा में 24 घंटे के दौरान जहां मेल-एक्सप्रेस 250 से ज्यादा गुजर रही हैं तो वहीं मालगाडी की संख्या 300 से अधिक है। रेलवे बोर्ड के आदेश में मेल ड्राइवर को आठ घंटे और मालगाड़ी ड्राइवर को 11 घंटे ट्रेन चलवाने कहा है, लेकिन मेल ड्राइवर से 11 से 12 घंटे ट्रेन चलवाई जा रही है तो वहीं मालगाड़ी ड्राइवर से 14 या फिर इससे भी अधिक घंटे। इस वजह से इनमें तनाव बढ़ रहा है। हर साल इस तनाव भरे माहौल में काम करने से 15 से 20 ड्राइवर अस्वस्थ होकर दूसरे विभाग में स्थानांतरण ले रहे हैं। रेलवे से जुड़े जानकारों का कहना है कि यही हाल रहा तो ओडिशा के बालेश्वर की तरह जबलपुर रेल मंडल में भी बड़ा हादसा हो सकता है।