नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। शहर के गढ़ा फाटक और गढ़ा पुरवा इलाकों में बंदरों का आतंक दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। पहले ये बंदर केवल छतों पर उत्पात मचाते थे, लेकिन अब यह हमलावर हो गए हैं। स्थिति यह है कि अब घर के अंदर भी घुसकर लोगों को नुकसान पहुंचाने लगे हैं। दो दिन पहले एक बुजुर्ग महिला को बंदरों ने काट कर घायल कर दिया, जिससे क्षेत्र के नागरिकों में गंभीर दहशत का माहौल है।
गढ़ा फाटक क्षेत्र में रहने वाले विजय रैकवार ने बताया कि पहले बंदर गिनती के होते थे, लेकिन पिछले छह महीनों में इनकी संख्या 20 से 25 के झुंड तक पहुंच गई है। ये बंदर छतों पर चढ़कर गमले तोड़ देते हैं, घरों में घुसकर खाने-पीने का सामान उठा ले जाते हैं और अब पैदल चलने वालों पर भी हमला करने लगे हैं।
बीते दिनों एक बुजुर्ग महिला बालकनी में कपड़े धो रही थीं, तभी चार बंदरों ने हमला कर दिया और उनकी कमर पर काट लिया। यह घटना स्थानीय नागरिकों के लिए चेतावनी बन गई है। बच्चों और बुजुर्गों का बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया है। लोग डर के मारे छत पर भी नहीं जा पा रहे।
गढ़ा फाटक और गढ़ा पुरवा के अलावा गौतम मढ़िया, कछपुरा, गढ़ा बाजार, देवताल, शाहीनाका, नारायण नगर, धनवंतरी नगर, मदन महल की पहाड़ियों और गुप्तेश्वर जैसे क्षेत्रों में भी बंदरों का उत्पात बढ़ गया है। नागरिकों का कहना है कि नगर निगम और वन विभाग को कई बार शिकायत की गई, लेकिन आज तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला।
स्थानीय निवासी अरविंद यादव और आलोक श्रीवास्तव का कहना है कि बंदर इतने आक्रामक हो गए हैं कि कई बार लोगों को अस्पताल तक जाना पड़ा है। बावजूद इसके प्रशासनिक तंत्र निष्क्रिय नजर आ रहा है। न नगर निगम के पास कोई ठोस योजना है, न वन विभाग कोई ठोस कार्रवाई कर पा रहा है। नागरिकों ने मांग की है कि बंदरों को पकड़कर शहर से दूर सुरक्षित जंगलों में छोड़ा जाए और ऐसी व्यवस्था बनाई जाए कि वे दोबारा शहर में प्रवेश न कर सकें। इसके साथ ही, जागरूकता अभियान और हेल्पलाइन नंबर शुरू किए जाएं ताकि आपात स्थिति में लोग तुरंत मदद मांग सकें।