नईदुनिया प्रतिनिधि, डिंडौरी गोरखपुर। जिले के करंजिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत मुसामुंडी में शासकीय प्राइमरी स्कूल भवन के पास बना वर्षों पुराना आंगनवाड़ी जर्जर भवन के सामने का हिस्सा रात्रि में भरभराकर गिर गया। भवन का एक हिस्सा गिरने से कोई जनहानि तो नहीं हुई, लेकिन आसपास के किसी के होने से बडा हादसा हो सकता था। बताया गया कि इस भवन में गत वर्ष से केंद्र का संचालन बंद था। इसके अधिक क्षतिग्रस्त होने से लोग इसके आसपास जाने से कतराते थे।
इस भवन के निर्माण के बाद ग्राम में आज तक विभाग द्वारा अन्य नए भवन का निर्माण नहीं कराया गया। ऐसे हालात में आंगनवाड़ी के संचालन के लिए किराए के खपरैल कच्चे मकान में निर्भरता हैं। इस पूरे मामले में अभिभावकों का कहना हैं कि बरटोला में गणेश सिंह के कच्चे मकान में अव्यवस्थाओं के बीच नौनिहालों को बैठाकर शिक्षाध्ययन कराया जा रहा हैं। जो बच्चों के सेहत के लिए ठीक नहीं है। बावजूद जिम्मेदार इन्हें कागजों में बढ़िया बताकर मनमानी कर रहे हैं। गौरतलब हैं कि आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को आकर्षित करने के लिए खिलौने सहित अन्य सामग्रियों के माध्यम से गतिविधियां की जाती हैं, लेकिन ऐसे गंदगी वाले माहौल में क्या सकारात्मक गतिविधि की जाती होगी इस पर सवाल उठ रहे हैं।
विभागीय नियमानुसार किराए के भवन मे संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए एक निश्चित माप वर्ग फीट की जगह का होना अनिवार्य हैं। साथ ही वह जगह पूरी तरह पक्की होनी चाहिए और शौचालय की सुविधा के साथ बिजली की व्यवस्था भी होना अनिवार्य हैं। यहां के किराए के कक्ष में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र में उपरोक्त नियमों का पालन दूर दूर तक नहीं हैं। बावजूद इसके वर्षों से इन्हीं हालातों में केंद्र लगाया जा रहा हैं। नौनिहालों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ग्राम के जागरूक लोग पूर्व से शिकायत दर्ज करा रहें हैं, लेकिन उनके प्रयास के बाद भी कोई पहल न होना बडा सवाल बना हुआ है।
वर्तमान में गंदगी और प्रदूषित जल से क्षेत्र में बीमारियां फैल रही हैं। ऐसे में कीचड़, गोबर और गौशाला के नजदीक बैठाकर बच्चों को शिक्षा देना नन्हें मुन्नों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना नजर आ रहा है। टला बडा हादसा: पड़ोस में रहने वाले संतोष धुर्वे ने बताया कि वो तो गनीमत रही कि रात में भवन के सामने का हिस्सा गिरा इसलिए कोई जनहानि नहीं हुई और बड़ा हादसा टल गया। भगवान की कृपा से सब सुरक्षित हैं, लेकिन यही घटना स्कूल के समय या दिन में होती तो बडा हादसा हो सकता था। बताया गया कि जर्जर आंगनवाडी भवन से सटकर प्राइमरी स्कूल और दूसरे तरफ खाद्यान्न वितरण केंद्र है।
इसी परिसर में कुछ दूरी पर पंचायत भवन और मिडिल स्कूल के साथ तेजस्विनी समूह वालों के कामकाज चलते हैं। जहां बड़ी संख्या में विद्यार्थियों सहित आमजन आते जाते रहते हैं।गांव में नहीं है विभाग का भवन:जानकारी के अनुसार सरकारी रिकॉर्ड में राजस्व की भूमि हैं और उस जर्जर भवन के बाद से अब तक यहां लंबे समय से महिला बाल विकास विभाग ने अपना खुद का सरकारी भवन नहीं बनाया है। यहां दो आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं। स्थानीय लोगों में इसको लेकर काफी नाराजगी हैं।
आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने आंगनवाड़ियों के लिए पर्याप्त बजट दिया है ताकि सारे संसाधन के साथ इनका संचालन हो सके। वर्तमान में कलेक्टर भी आंगनवाड़ी केन्द्रों की दशा दिशा सुधारने लगातार प्रयास कर रही हैं। इस गांव के लिए भी सर्व सुविधायुक्त भवन का निर्माण कराया जाने के लिए पहल करने की मांग की जा रही है। ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से मांग की हैं कि निर्माण के लिए आ रही परेशानियों को तत्काल दूर करते हुए नये भवन के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की जाए।
हमारे पंचायत द्वारा नये भवन के लिए मांगपत्र दिया गया हैं लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। ऐसी परिस्थितियों में दोनों केंद्र का संचालन खपरैल वाले कच्चे मकान से किया जा रहा हैं। जहां समस्याएं व्याप्त हैं।कपिल आर्मो सरपंच ग्राम पंचायत मुसामुंडी। नये भवन के लिए फाइल भेजी गई हैं। स्वीकृति के बाद ही निर्माण कार्य प्रारंभ किया जा सकता हैं। कच्चे मकानों की बजाएं पक्के भवन में आंगनवाड़ी लगाने के लिए कहा गया हैं, जो समस्या है इसको मैं दिखवाती हूं। मीरा उइके प्रभारी परियोजना अधिकारी करंजिया।