नगरीय निकाय चुनाव के कार्यक्रम के घोषणा के साथ ही ढाई साल से शांत पड़ी मोहल्ले की राजनीति अब तेज हो चली है। नामों की घोषणा के साथ ही 40 दिन के भीतर परिणाम तक सामने आ जाएंगे। ऐसे में एक संदेश्ा तेजी से इंटरनेट मीडिया में प्रसारित हो रहा है। इसमें वार्ड का चुनाव लड़ने वाले और राजनीति में भविष्य देखने वालों को कहा जा रहा है कि चुनाव के चक्कर में आपसी रिश्ते खराब नहीं करें। बाद में गब्बर और ठाकुर एक साथ दिखते हैं। यह संदेश इसलिए प्रसारित किया जा रहा कि समय कम हैं और चुनाव लड़ने वालों की संख्या अधिक है। ऐसे में आपसी घमासान नहीं हो। क्योंकि 16 जुलाई के बाद सब को अपने ही क्षेत्र में रहना है। इस संदेश का असर भी दिख रहा है। ठक्कर ग्राम में तो चुनाव लड़ने के इच्छुक पूर्व पार्षद ने अपनी दावेदारी वापस भी ले ली।
सतर्कता जरूरी है...
श्ाहर में बीते समय हुए तमाम विवादों को देख अब पुलिस सतर्क हो चली है। यही कारण्ा की देर रात में सड़कों पर निकलने वालों की जांच जारी है। चौक-चौराहों पर खड़े जवान रात दो बजे के बाद गुजरने वालों को रोक कर उनका नाम पता ही नहीं आधार और मोबाइल नंबर भी पूछकर सूचीबद्ध कर रहे हैं। इतना ही नहीं उनकी तस्वीरें भी कैमरे में कैद की जा रही हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर संबंधित के घर तत्काल पहुंचा जा सके। जांच क्यों हो रही है, यह सवाल पूछने पर जवान कहते हैं कि उन्हें हर रात कम से कम दस लोगों की पूरी जानकारी जुटानी होती है। यह उनकी सेवा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस पूछा तलाशी का कभी-कभार बड़ा फायदा भी मिल रहा है। कई बार सालों से बंद पड़े मामले अचानक से सामने आ जाते हैं। खैर कार्रवाई जैसी भी हो पर जारी रहना जरूर चाहिए।
अब विधायक नहीं महापौर बनना है बाबूजी
बाबूजी विधायकी करने की इच्छा अब नहीं रही। श्ाहर के विकास की टीस मन में है। इस बार महापौर पद की दावेदारी कर रहा हूं। आपका आशीर्वाद मिल जाए तो प्रण-प्राण से जुटकर सफलता अवश्य पाउंगा। यह गुहार एक पूर्व विधायक ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता के सामने लगाई। बंद कमरे में चुनिंदा लोगों के सामने हुई यह बैठक राजनीतिक हल्कों में चर्चा का विषय बनी हुई है। जैसे ही पूर्व विधायक की इच्छा सामने आई, वैसे ही असंतुष्ट नेता उनके पीछे लग लिए। उनकी विधायकी कार्यकाल के चर्चित किस्से, कारनामे सब के सामने ला दिए गए। पर पूर्व विधायक भी कहां मानने वाले थे सो वे भी अपनी फाइल लेकर दोबारा बाबूजी के पास पहुंच गए। इस बार महापौर की सीट अनारक्षित मुक्त है। ऐसे में दावेदारों की संख्या भी लंबी है। अब 12 जून तक अंतिम सूची सामने आने की उम्मीद है। तब तक दौड़ जारी है।
मुश्किल दौर में 'शटल
वर्तमान दौर में महानगर की पहचान स्थानीय विमानतल से उड़ने वाले हवाई जहाजों की संख्या से होने लगी है। कोरोना संक्रमण थमने के बाद संस्कारधानी से भी 15 से अधिक उड़ानें प्रतिदिन संचालित हो रही हैं। हवाई यात्रियों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से नगर निगम के अधीन संचालित जबलपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस कंपनी ने एक वातानुकूलित शटल बस सेवा शुरू की है। इस सेवा का उद्देश्य यह है कि शहर के हवाई यात्रियों को कम समय और किफायती दाम में डुमना विमानताल तक पहुंचाया जाए। यात्रियों की मंशानुसार बस उन तक पहुंच पाने के कारण हालात यह हैं कि शटल सेवा अब हांफने लगी है। शहर से कम संख्या से यात्री सवार हो रहे हैं और लौटकर भी कम ही आ रहे हैं। कुल मिलाकर राहत देने के लिए शुरू की गई शटल बस सेवा मुश्किलों के दौर से गुजर रही है। फिलहाल बस का संचालन जैसे-तैसे जारी है।