
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। दीपावली पर आतिशबाजी में कार्बाइड गन घातक साबित हुई, इसके इस्तेमाल से घायल हुए आधा दर्जन से अधिक अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचे। हालांकि मेडिकल कालेज सहित सभी प्रमुख शासकीय अस्पतालों के पास इस तरह के केस नहीं आए हैं। इस बीच कलेक्टर ने पटाखे फोड़े जाने के दौरान कार्बाइड गन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
जानकारी के अनुसार शहर के नेत्र रोग विशेषज्ञ पवन स्थापक द्वारा संचालित जन ज्योति सुपर स्पेशियलिटी नेत्र चिकित्सालय में कार्बाइड गन के आठ मामले दर्ज हुए। इनमें से सिर्फ तीन मरीज जबलपुर के हैं, शेष प्रदेश के अन्य जिलों रायसेन, नरसिंहपुर व नर्मदापुरम से हैं।
बताया जाता है कि दीपावली के बाद सभी मरीज जन ज्योति सुपर स्पेशियलिटी नेत्र चिकित्सालय पहुंचे थे। इसी तरह नेत्र रोग विशेषज्ञ आशुतोष राय के चित्रकूट अस्पताल के पास एक मरीज पहुंचा। आंखों की हालत देखकर चिकित्सक की देखरेख में उन्हें तत्काल उपचार प्रदान किया गया। ये सभी मरीज अब पहले से बेहतर बताए जा रहे हैं।
- 45 वर्षीय पुरुष, पिपरिया नर्मदापुरम, होशंगाबाद-बायीं आंख में असर
- 17 वर्षीय किशोर, पंझारा रायसेन-बायीं आंख में असर
- 21 वर्षीय पुरुष, तेंदुखेड़ा नरसिंहपुर-दोनों आंखों में असर
- 45 वर्षीय पुरुष, गंगानगर जबलपुर-दायीं आंख में असर
- 40 वर्षीय पुरुष, गाडरवारा नरसिंहपुर-दायीं आंख में असर
- 35 वर्षीय पुरुष, कटंगी जबलपुर-बायीं आंख में असर
- 46 वर्षीय पुरुष, सुहागी जबलपुर-बायीं आंख में असर
जिले में कार्बाइड गन के निर्माण, भंडारण, विक्रय और प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाते हुए कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने जारी आदेश में कहा है कि आम लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए तत्काल इस उपयोग पर रोक लगाई जा रही है। एसडीएम, कार्यपालिक मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी व संबंधित विभाग इस आदेश के सख्त पालन की निगरानी करेंगे।
दरअसल कार्बाइड गन में कैल्शियम कार्बाइड, माचिस की तीलियों के सिरे और बारूद का मिश्रण होता है। जब इसमें पानी डाला जाता है तो कैल्शियम कार्बाइड रिएक्ट करके एसिटिलीन गैस पैदा करता है। इस गैस और अन्य विस्फोटक सामग्री को जब चिंगारी दी जाती है तो एक जोरदार धमाका होता है। इससे जहरीली गैसें व उड़ने वाले कण सीधे आंख में जाते हैं और चोट पहुंचाते हैं। चोटिल आंख पूरी तरह लाल घेरे में बदल जाती है।