Eye Care : समय रहते इलाज न कराने पर मोतियाबिंद गंभीर रूप ले सकता है। इसलिए मोतियाबिंद के उपचार में देरी नहीं करनी चाहिए। मोतियाबिंद के कारण धुंधला नजर आने लगता है। जिससे स्पष्ट रूप से देखने में कठिनाई होती है। इसलिए समय-समय पर आंखों की जांच आवश्यक है। कई कारक इस बीमारी का खतरा बढ़ा देते हैं। इनमें उच्च रक्तचाप, शुगर, मोटापा, धूम्रपान, शराब का सेवन, सूर्य के प्रकाश में ज्यादा समय तक रहना, उम्र का बढ़ना, आंखों की चोट या पूर्व में हुए आपरेशन, लंबे समय तक स्टेराइड का उपयोग आदि शामिल हैं।
मोतियाबिंद धीरे-धीरे आंखों को अपनी गिरफ्त में लेता है। इसलिए आंखों की नियमित जांच से बीमारी का समय से पता चल जाता है। सही उपचार से इसके कारण होने वाले जोखिम को टाला जा सकता है। मोतियाबिंद के कारण द्ष्टि धुंधली हो जाती है, रंगों की पहचान में परेशानी होती है, आंखों के सामने चकाचौंध, दोहरी दृष्टि, बार बार चश्मे का नंबर बढ़ना आदि समस्याएं सामने आती हैं।
प्रत्येक व्यक्ति को 40 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से आंखों की जांच कराना चाहिए। इसलिए आंखों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए फल व सब्जियों का सेवन करना चाहिए। धूम्रपान, शराब आदि मादक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। आंखों की रोशनी में किसी भी तरह के बदलाव को अनदेखा न कर विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।