नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। सड़कों पर बैठे बेसहारा मवेशियों से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने अब बार कोड की मदद ली जाएगी। पशुपालन विभाग द्वारा मवेशियों को लगाए जाने वाले टैग में बार कोड भी होगा। इसको स्कैन करते ही पशुपालक की जानकारी आ जाएगी। इसके बाद विभाग और प्रशासन संबंधित पशुपालक की पहचान कर कार्रवाई कर सकेगा। विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया है।
ये बात प्रदेश के पशुपालन मंत्री लखन पटेल ने जबलपुर प्रवास के दौरान नईदुनिया से अनौपचारिक चर्चा में कही। मंत्री ने कहा कि टैग भी एक नहीं, बल्कि तीन रंग के होंगे, जिससे यह पता लगाया जा सकेगा कि मवेशी गोशाला का है, पशुपालक का या फिर बेसहारा। वेटरनरी विभाग में तकनीक की मदद से कई बड़े बदलाव किए जा रहे हैं और आने वाले समय में वेटरनरी डाक्टर और कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी, ताकि प्रदेश के पशुओं को बेहतर उपचार मिले, दुग्ध उत्पाद बढ़े।
पशुपालन मंत्री ने कहा कि प्रदेश की गोशालाओं की गायों पर नजर रखने एक चिप लगाई जाएगी। चिप की मदद से रोजाना गोशालाओं में गायों की प्रतिदिन गिनती होगी। इससे हम गोशालाओं में रखी गई गायों की वास्तविक संख्या का पता लगा सकेंगे और उसी आधार पर शासन द्वारा उन्हें राशि स्वीकृत की जाएगी। दिवाली के बाद प्रदेश की सभी गोशालाओं में रखे गए गोवंश में यह चिप लगाने की तैयारी है। अभी यह हो रहा है कि गोशालाओं में रखी गायों की अधिक संख्या बताकर शासन से राशि ले ली जाती है, लेकिन चिप लगने के बाद ऐसा नहीं होगा।
सार्थक एप से हाजिरी में दिक्कत पर पशुपालन मंत्री ने कहा कि विभाग में सार्थक एप से हाजिरी लगेगी। इसके फायदे भी अब सामने आने लगे हैं। जो वेटनरी अस्पताल, सेंटर दोपहर में ही बंद हो जाते थे, वे अब शाम तक खुल रहे हैं। डॉक्टर और कर्मचारी समय से अस्पताल आ और जा रहे हैं। कोई तकनीकी खामी है तो उसे दूर किया जाएगा, पर एप से हाजिरी बंद नहीं होगी।