जबलपुर,नईदुनिया प्रतिनिधि, OBC Reservation in MP। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के अन्य पिछड़ा वर्ग, ओबीसी रिजर्वेशन को लेकर पूर्व में पारित अंतरिम आदेश के खिलाफ राज्य शासन सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका, एसएलपी दायर कर सकती है। इसी संभावना को मद्देनजर रखते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिकाकर्ता असिता दुबे के अधिवक्ता आदित्य संघी ने सुप्रीम कोर्ट मेंं केविएट दायर कर दी है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि यदि मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचता है, तो सरकार से पहले जनहित याचिकाकर्ता का पक्ष सुना जाए।
उल्लेखनीय है कि ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर सहित अन्य मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसद आरक्षण दिए जाने की वकालत करते चले आ रहे हैं। लेकिन हाई कोर्ट ने अपने 13 जुलाई, 2021 के अंतरिम आदेश में 27 फीसद रिजर्वेशन की मांग को दरकिनार करते हुए फिलहाल महज 14 फीसद के पूर्व निर्धारित रिजर्वेशन के आधार पर ही ओबीसी आवेदकों को लाभ दिए जाने की व्यवस्था दे दी। इससे ओबीसी वर्ग असंतुष्ट है। साथ ही राज्य शासन भी ओबीसी वर्ग की असंतुष्टी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना चुकी है।
कानूनी प्रविधानों का किया जा रहा अध्ययन : इस मामले में महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव की टीम कानूनी प्रविधानों के अध्ययन में जुटी है। इसी आधार पर एक निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की जाएगी। हालांकि अधिवक्ता आदित्य संघी ने साफ किया है कि सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी और मराठा रिजर्वेशन वाले न्यायदृष्टांतों की रोशनी में ओबीसी रिजर्वेशन का प्रतिशत किसी भी हाल में 14 फीसद से अधिक स्वीकार योग्य नहीं हो सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि 27 फीसद ओबीसी रिजर्वेशन दे दिया गया तो अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के प्राप्त रिजर्वेशन के साथ ओबीसी का रिजर्वेान जुड़कर कुल रिजर्वेशन 63 फीसद हो जाएगा, जाे कि सुप्रीम कोर्ट की किसी भी सूरत में रिजर्वेशन का कुल प्रितिशत 50 से अधिक न होने की मूल भावना के सर्वथा विपरीत हाेगा।