जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में आनलाइन रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट (आरटीजीएस) के जरिए बिजली बिल जमा करने की सुविधा में कई सुरक्षा बिंदु लगाए गए हैं। आनलाइन साफ्टवेयर में यह बदलाव आइटी विभाग ने किया है। यहीं नहीं साफ्टवेयर में किसी तरह की गड़बड़ी की गुजाइंश न रहे, इसके लिए और ज्यादा बारीकी से उसमें सुधार हो रहा है।
पूर्व क्षेत्र कंपनी के सिस्टम एंड आपरेशन के मुख्य अभियंता विपिन धगट ने बताया कि फिलहाल आनलाइन आरटीजीएस में डुप्लीकेट यूटीआर पर चेक लगाया गया है। इसके अलावा 15 दिन पुराने यूटीआर नंबर की पंचिंग नहीं होगी। इसके अलावा कई और बदलाव के लिए टीम से सुझाव लेकर काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बिल जमा करने वक्त आनलाइन सुधार के लिए सुरक्षा घेरा मजबूत बनाने का प्रयास है।
ज्ञात हो कि सतना में संदिग्ध रूप से 54 मामले अभी सामने आए हैं। इन सभी उपभोक्ताओं से बिल जमा करने के दस्तावेज बुलाए जा रहे हैं। सभी को नोटिस दिया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक आरटीजीएस की प्रक्रिया आमतौर पर बड़े उपभोक्ता या सरकारी विभाग अधिक करते हैं। उनके द्वारा बिल की राशि आरटीजीएस कर यूटीआर नंबर की आनलाइन पंचिंग कराई जाती है। गड़बड़ी वाले मामलों में ऐसे उपभोक्ता ने भी बिल आरटीजीएस के जरिए जमा हुआ, जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी। वे बिल जमा नहीं कर रहे थे, उनके एकाएक बिल जमा हुए, जिसके बाद संदेह हुआ। जांच हुई तो पता चला कि आरटीजीएस के बाद बैंक से आनलाइन यूटीआर नंबर मिलता है, जो उपभोक्ता द्वारा अपने बिल नंबर के साथ दर्ज करता है। इससे प्रमाणित होता है कि उपभोक्ता ने आनलाइन बैंक से जो राशि स्थानांतरित की है, वो उसके द्वारा की गई है। यहां एक यूटीआर नंबर को दो-दो बार एक ही उपभोक्ता ने इस्तेमाल किया।
वित्त विभाग मामले में मौन-
पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के मुख्य अभियंता वित्त मुकुल मेल्होत्रा ने तीन दिन में पूरे मामले की जांच रिपोर्ट सतना से बुलाने का दावा किया था, लेकिन फिलहाल कोई जानकारी साफ नहीं हो पाई है। कंपनी के अफसर पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। बताया जाता है कि अफसरों की अनदेखी का नतीजा है कि उपभोक्ता के साथ आनलाइन बिजली बिल जमा करने में ठगी हो रही है।