नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मध्य प्रदेश के सवा लाख से अधिक वकीलों का पंजीयन करने वाली सर्वोच्च संस्था एमपी स्टेट बार काउंसिल का चुनाव लड़ना अब आसान नहीं रहा। देश के वकीलों की सर्वोच्च संस्था बार काउंसिल आफ इंडिया ने एक आदेश के जरिए चुनाव नामांकन शुल्क में सीधे पांच गुना बढ़ोत्तरी कर दी है, जो कि वापस नहीं होगा। इससे प्रत्याशियों में खासा रोष है। इसको लेकर विरोध के स्वर भी उठ रहे है। पहले एसबीसी का चुनाव लड़ने के लिये नामांकन फीस महज 25 हजार रुपये थी, जिसे बढ़ाकर एक लाख पच्चीस हजार रुपये कर दिया गया है। राशि की वापसी न होने का भी विरोध हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 सितंबर को एक आदेश जारी करके स्टेट बार काउंसिल के चुनावों के लिए सात सदस्यीय चुनाव समितियां गठित करके 31 जनवरी, 2026 तक सभी चुनाव कराने के निर्देश बीसीआई को दिए थे। इसी आदेश के बाद बीसीआई द्वारा स्टेट बार काउंसिल को एक पत्र भेजा है।
पत्र में कहा गया है कि लॉ ग्रेजुएट्स के नामांकन के लिए पहले फीस 16 हजार रुपये थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने घटाकर 600 रुपये कर दिया। स्टेट बार काउंसिल की आय घटने के कारण अब स्टेट बार काउंसिल के पास चुनावी खर्च के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं बच रही।
इसके लिए जरूरी है कि नामांकन की फीस 25 हजार से बढ़ाकर एक लाख 25 हजार रुपये की जाए। मप्र स्टेट बार काउंसिल की मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल अगले माह पूरा होने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में जनवरी 2026 तक नई कार्यकारिणी के चुनाव कराए जाने हैं।
आगामी कार्यकारिणी को लेकर चुनाव की तैयारी कर रहे प्रत्याशियों ने जहां नामांकन शुल्क बढ़ाये जाने पर रोष व्यक्त किया है तो वहीं अपनी जोर आजमाइश भी शुरू कर दी है। दशहरा पर्व पर पड़ी छुट्टियों पर अपना भाग्य आजमा रहे प्रत्याशियों ने वकीलों के घरों में पहुंचकर जन संपर्क करना शुरू कर दिया है। वहीं सोशल मीडिया पर भी मतदाताओं से अपने पक्ष में मत का प्रयोग करने की अपील की जा रहीं है।
एसबीसी के वाइस चेयरमेन आरके सिंह सैनी ने कहा है कि चुनाव में नामांकन शुल्क सीधे पांच गुना बढ़ाया जाना अनुचित है। इसकों लेकर एसबीसी ने बीसीआई को पत्र भेजकर अपनी आपत्ति दर्ज करायी है। जल्द ही बीसीआई की सामान्य सभा की बैठक होने वाली है, जिसमें संभवत: शुल्क घटाने पर विचार विमर्श होगा।