जबलपुर, नईदुनिया रिपोर्टर। फागुन की है बहार सखी गीत सजा लो, खिलने लगे पलाश सखी गीत सजा लो। फागुन यानी जीवन को आनंद महोत्सव के साथ -साथ जीने का महीना। जिसमें राधा और कान्हा की प्रीति विरह के साथ प्रकृति की मोहक अंगड़ाई भी है। जिसमें भावों से भरे कवि मन उड़ान कुछ और ऊंची हो जाती है। अवसर था ऐसे ही मदमस्त भावों से सजी हिंदी लेखिका संघ जबलपुर की आनलाइन फागुनी काव्य संगोष्ठी का। जहां रचनाकारों ने गीतों ,कविताओं और हास्य व्यंग की पिचकारीओं से पटल को सराबोर कर दिया।
प्रदूषण मुक्त स्वरूप को रेखांकित किया: अलका मधुसुधन पटेल के संचालन में कार्यक्रम का प्रारंभ श अर्चना गोस्वामी के मधुर मंगलाचरण से हुआ। संघ अध्यक्ष अर्चना मलैया ने अपने स्वागत उद्बोधन में प्राचीन समय की राजसी होलीयों के प्राकृतिक व प्रदूषण मुक्त स्वरूप को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि होली का सामाजिक, साहित्यिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और पारंपरिक महत्व है। होली से समाज मे बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। होली संदेश देता है ईश्वर भक्ति का। होली संदेश देता है मन में छिपी बुराइयों को दूर कर खुशियों के रंगों में सराबोर होने का।
नई पीढ़ी को होली के महत्व को समझाने की जरूरत: इस अवसर पर चर्चा हुई कि नई पीढ़ी को होली के महत्व को समझाने की बहुत जरूरत है। होली पर महत्वपूर्ण साहित्य रचना हुई है। इसी साहित्य को संरक्षित करने के लिए होली पर कवि सम्मेलनों का आयोजन किया जाता रहा है। जो प्रतीक है सम्पन्ना साहित्य का। इस बार कोरोना के कारण ऐसे आयोजन नही हो पा रहे हैं। इसलिए आनलाइन ही आयोजन हो रहे हैं। इस अवसर पर सिद्धेश्वरी सराफ ,चंद्रप्रकाश वैश्य ,डॉ मुकुल तिवारी, डॉक्टर राजलक्ष्मी शिवहरे , अर्चना मलैया, उमा पिल्लई ,श्रीमती अनीता श्रीवास्तव, छाया त्रिवेदी, रत्ना ओझा रत्न , छाया सक्सेना, अर्चना गोस्वामी, लक्ष्मी शर्मा , अनुराधा अनु. प्रार्थना अर्गल ,डॉक्टर मनोरमा गुप्ता ,डॉक्टर अंबर प्रियदर्शी, डॉ भावना शुक्ला , प्रियंका श्रीवास्तव , डॉ शोभा सिंह, गायत्री नीरज चौबे, विनीता पैग्वार , मिथलेश बड़गैंया , डा अनामिका तिवारी, ज्योत्सना शर्मा ,मधु जैन, आशा श्रीवास्तव,मिथिलेश नायक, शशि कला सेन ,डॉक्टर कामना तिवारी श्रीवास्तव इन सभी रचनाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं पटल को सतरंगी समा से बांध दिया।