जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। जिले में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। 24 घंटे के भीतर 21 नए मरीज सामने आए जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि लगभग हर घंटे एक नए व्यक्ति को डेंगू के मच्छर डंक मार रहे हैं। सरकारी आंकड़ों में इस साल छह माह में (जनवरी से जून) तक डेंगू के सिर्फ सात मरीज सामने आए थे। जिसके बाद मात्र 82 दिन (जुलाई से सितंबर) में मरीजों की संख्या 500 के आंकड़े को पार कर गई।
जिले में अब तक डेंगू के 519 मरीज सामने आ चुके हैं। डेंगू का खतरनाक रूप भी सामने आने लगा है। रक्त में प्लेटलेट्स की कमी के कारण तमाम मरीज मल्टीपल आर्गन फेल्योर, हेमरेजिक डेंगू की स्थिति में पहुंच रहे हैं। डेंगू के तमाम मरीजों में शाक सिंड्रोम की स्थिति सामने आई है। इधर, तमाम निजी अस्पतालों व पैथालाजी केंद्रों से डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग तक नहीं पहुंच रही है। मादा एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने से होने वाली इस बीमारी की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच नागरिकों में मच्छरों से बचाव के प्रति जागरुकता का अभाव देखा जा रहा है। जिन घरों में डेंगू ने दस्तक दी है वहां कूलर, टंकियां व गमलों में मच्छरों के लार्वा बिलबिलाते मिले। स्वास्थ्य विभाग की 33 टीमें घर-घर सर्वे करने के लिए मैदान में उतारी गई हैं। सोमवार को भी तमाम मरीज अस्पतालों में भर्ती होने के लिए परेशान होते रहे।
65 घरों में लार्वा, बुखार के 846 मरीज मिले: स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे सर्वे में फिर 65 घरों में रखे 73 कंटेनरों में मच्छराें के लार्वा मिले। इस दौरान एक हजार 230 घरों तक अमला पहुंचा जहां बुखार से पीडि़त 846 मरीज मिले। मरीजों की रक्त पट्टी की जांच कराई गई जिसमें मलेरिया मरीजों की संख्या शून्य रही। डेंगू के नए 21 मरीजों में 16 मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती हैं। 205 घरों में स्पेस स्प्रे व फागिंग कराई गई। जिला मलेरिया अधिकारी डा. आरके पहारिया ने बाई का बगीचा, लालमाटी, घमापुर समेत अन्य क्षेत्रों का जायजा लेकर डेंगू की रोकथाम के उपायोें की समीक्षा की।
गंबूशिया मछली का सहारा, खाली प्लाटों से किनारा: मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के निर्देश पर जिला मलेरिया कार्यालय द्वारा रांझी, गढ़ा व अधारताल में जलभराव वाले स्थानों पर मच्छरों के लार्वा खाने वाली गम्बूशिया मछली डाली गई। इधर, बीमारी की रोकथाम में नगर निगम की लापरवाही सामने आ रही है। शहर भर में जहां तहां खाली पड़े प्लाटों में भरे पानी में डेंगू के मच्छर पनप रहे हैं परंतु निगम द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि खाली प्लाटों में जलभराव को रोकने के लिए नगर निगम जिम्मेदार है। नगर निगम की लापरवाही के कारण समूचे शहर में डेंगू के मच्छर डंक मार रहे हैं। नगर निगम द्वारा समूचे शहर में फागिंग भी नहीं कराई जा रही। डेंगू के तमाम मरीजों के घर स्वास्थ्य विभाग का अमला नहीं पहुंचा जिसके चलते हालात और भयावह होते जा रहे हैं। इधर, सोमवार को पुलिस के 11 जवान डेंगू का उपचार कराने के लिए विभिन्न अस्पतालों में भर्ती रहे।
डेंगू के लक्षण: साधारण डेंगू-अचानक तेज बुखार, सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द, भूख न लगना, शरीर के ऊपरी हिस्से में खसरे जैसे दाने आना, चक्कर आना, जी मचलाना व उल्टी होना, शरीर पर खून के चकत्ते आना, खून में प्लेटलेट्स की कमी होना।
हेमरेजिक डेंगू-नाक, मुंह व मसूढ़ों से रक्तस्त्राव, खून में प्लेटलेट्स की भारी कमी होना, त्वचा पर घाव बनना, शरीर में असहनीय दर्द, गला सूखना, सांस लेने में तकलीफ।
शाक सिंड्रोम-नब्ज तेज चलना, रक्तचाप कम होने के साथ त्वचा का ठंडा पड़ना, बेचैनी महसूस होना, पेट में लगातार तेज दर्द होना।
डेंगू से बचाव के उपाय-घर व कार्यस्थल के आसपास स्वच्छता का ध्यान रखते हुए पानी जमा न होने दें। गमले, कूलर, पानी की टंकियाें का पानी बदलते रहें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें और मच्छरदानी का उपयोग करें। डेंगू के प्रारंभिक लक्षण आते ही चिकित्सीय परामर्श लें।
आंकड़ोंं पर एक नजर-
माह मरीज संख्या
जनवरी 1
फरवरी 3
मार्च 1
अप्रैल 1
मई 0
जून 1
जुलाई 43
अगस्त 186
सितंबर 317
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डेंगू व मच्छरजन्य अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में उपचार की बेहतर व्यवस्था की गई है। नागरिकों को मच्छरों से बचाव व रोकथाम के लिए जागरुक किया जा रहा है। शहर में डेंगू से हालात भयावह होने जैसी स्थिति नहीं है।
डा. आरके पहारिया, जिला मलेरिया अधिकारी