नईदुनिया, जबलपुर (Devuthani Ekadashi 2024) । देवउठनी एकादशी पर नर्मदा के गौरीघाट तट पर स्थित देश के एकमात्र तुलसी मंदिर में अपार जनमेदिनी उमड़ी। यहां नारायण वल्लभा तुलसा रानी के श्रीविग्रह के पंचामृत मार्जन उपरांत विविध धार्मिक हुए।
ज्योतिषाचार्य पंडित अमित कालवे ने बताया कि जिन लोगों के विवाह नहीं हो रहे हैं वे लोगों को एकादशी के दिन मंदिर में जाकर दर्शन करना चाहिए। इससे विवाह शीघ्र होता है। विवाह बाधा निर्मूल होती है। इस मंदिर में बताशा और गन्ने का भोग लगाकर दर्शन करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
14 जून, 2022 को जबलपुर के गौरी घाट में पुराने थाने के सामने माता तुलसी मंदिर का निर्माण अमित कालवे के ने कराया था। इस मंदिर में सुबह शाम माता तुलसी की आरती और पूजन होता है। जयपुर के किशनगढ़ से सवा फीट की मार्बल की माता तुलसी की मूर्ति अमित कालवे बनवाकर लाए थे और ज्येष्ठ पूर्णिमा 14 जून, 2022 को प्राणप्रतिष्ठा कराई थी।
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इस मंदिर में एकादशी को माता तुलसी की विशेष पूजन-आरती और अर्चन किया जाता है। जब इस मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा हुई थी तब बनारस से विद्वान ब्राह्मण को बुलाया गया था।
बनारस से आए इन ब्राह्मणों ने पूरे विधि विधान से माता तुलसी की प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा करते हुए उस समय विशिष्ट संरचना की थी।
दावा किया था कि जो अविवाहित युवक-युवती इस मंदिर में आकर एक नारियल रखकर अपनी अर्जी लगाएंगे और लगातार 11 एकादशी तक यहां आकर दर्शन करेंगे, उनका विवाह बिना किसी विघ्न-बाधा के अपेक्षाकृत शीघ्र हो जाएगा। विगत दो सालों में यहां मिले आशीर्वाद से छह विवाह हो चुके हैं।
इस वर्ष में नवंबर और दिसंबर दो माह ही शेष है । ऐसे में इस वर्ष विवाह के 18 दिन ही शुभ मुहर्त हैं। 15 दिसम्बर से खर मास लगने पर एक बार फिर से शादी का कोई शुभ मुहूर्त नहीं होगा। इसके बाद जनवरी 2024 से मार्च तक लगातार विवाह के शुभ मुहर्त होंगे।
ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला के अनुसार, 13, 17 व 18 नवंबर को विवाह हेतु उत्तम मुहूर्त हैं। 22, 23, 24,25, 26, 28 व 30 नवम्बर को भी विवाह होंगे। दिसम्बर माह में 2 दिसंबर को पहला शुभ विवाह मुहूर्त है। इसके बाद 3, 4, 5, 9, 10, 14 दिसंबर को भी मुहूर्त हैं। वर्ष का अंतिम विवाह मुहूर्त 15 दिसंबर को है। इसके बाद खरमास लग जाएगा।
ज्योतिषाचार्य सौरभ दुबे ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी इस बार 12 नवंबर को है। एकादशी तिथि का आरम्भ 11 नवंबर दोपहर 2 बजकर 16 मिनट से हो गया है। 12 नवंबर को दिन 12 बज 3 मिनट तक एकादशी तिथि रहेगी। सूर्योदय से एकादशी तिथि प्राप्त होने से 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनायी जाएगी।
श्रीहरि के अभिषेक का मुहूर्त- सुबह साढ़े नौ से दोपहर दो बजे तक
तुलसी शालिग्राम विवाह का श्रेष्ठ समय-सायंकाल 6.30 से रात्रि नौ बजे तक।