जबलपुर। नगर निगम के वाहन महीने भर में 25 लाख से अधिक का डीजल पी जाते हैं। सुनने में आश्चर्य जरूर लग रहा होगा लेकिन यह सत्य है। इसके अलावा निगम में लगे किराये के वाहनों में भी हर माह करीब 5 से 6 लाख रुपये खर्च होते हैं। वाहनों के मेंटनेंस पर होना वाला खर्च इन सबसे अलग है।
नगर निगम सिर्फ वाहनों पर ही करीब 50 लाख रुपये महीना खर्च करता है जो साल भर में करीब 6 करोड़ होता है। इसमें भी निगम के वाहनों का डीजल खर्च 25 लाख से अधिक है जबकि निगम में किराए के वाहन भी लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि इसी खर्च को कम करने पूर्व निगमायुक्त ओपी श्रीवास्तव ने व्हीकल ट्रेकिंग मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया था इससे खर्चों में कुछ कटौती भी हुई थी।
लेकिन उनका स्थानांतरण होते ही पूरा सिस्टम गड़बड़ा गया और गाड़ी एक बार फिर बेपटरी हो गई। सूत्रों का कहना है कि नगर निगम के वाहन आखिर शहर में कहां दौड़ते हैं जो इतना अधिक डीजल पी रहे हैं। चलने वाले वाहनों में दमकल, टैंकर शाखा और जेसीबी मशीनें ही हैं बाकी वाहन तो ज्यादातर समय खड़े ही रहते हैं। स्वास्थ्य विभाग में जरूर कुछ वाहन हैं लेकिन उनका भी सड़क पर दौड़ना न के बराबर है क्योंकि कचरा परिवहन का ठेका होने के बाद उनकी उपयोगिता बहुत कम हो गई है। इन सबके बावजूद नगर निगम में लगातार बढ़ रही डीजल की खपत लोगों की समझ से परे है।
पांच भागों में बंटे हैं वाहन
वाहन शाखा से डीजल वितरित करने नगर निगम ने वाहनों को पांच भागों में बांट दिया है। इनमें स्वास्थ्य, अतिक्रमण, जलविभाग, दमकल तथा पीडब्ल्यूडी विभाग शामिल हैं। डीजल के लिए इन विभागों के प्रभारियों की अनुमति जरूरी होती है।
सभी वाहनों की डीजल लिमिट अलग-अलग है। विभाग प्रभारी के हस्ताक्षर के बाद ही इनमें डीजल दिया जाता है। निगम में जिस हिसाब से वाहन संख्या बढ़ी है उसके अनुसार खपत कम ही है।
- जीएस मरावी, वाहन शाखा प्रभारी
एक नजर
- 163 वाहन हैं नगर निगम के
- 3.5 टैंकर डीजल लगता है हर माह
- 12 हजार लीटर डीजल एक टैंकर में आता है
- किराए के वाहन अलग हैं
- हर वाहन की डीजल लिमिट अलग-अलग