
जबलपुर। दिल्ली के बाद अब खजुराहो से बनारस भी दु्रुत गति से दौड़ने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस से जुड़ गया है। इधर, जबलपुर के नजदीक होते हुए भी अभी तक खजुराहो तक सीधा रेल संपर्क स्थापित नहीं हो सका है। रेलवे ने वर्ष 1998 को ललितपुर–सतना–सिंगरौली नवीन रेलपथ निर्माण कार्य प्रारंभ किया था, लेकिन इसके खजुराहो–पन्ना–सतना रेलखंड में लाइन बिछाने का काम लगातार पिछड़ता गया।
20 वर्ष बाद सतना–खजुराहो रेलखंड पर निर्माण कार्य शुरू हो सका। संबंधित रेलखंड पर पश्चिम मध्य रेल ने योजना पूरी करने के लिए इस वर्ष तक का लक्ष्य रखा था, लेकिन काम की धीमी चाल से यह योजना और पिछड़ गई है। पश्चिम मध्य रेल ने नई लाइन बिछाने का कार्य वर्ष 2026–27 तक पूरा करने का नया लक्ष्य तय किया है। लेकिन खजुराहो तक जबलपुर से सतना होकर सीधे रेल से जुड़ने में अभी दो वर्ष से भी ज्यादा समय लगने का अनुमान है।
इस परियोजना के पूरा होने पर जबलपुर में पर्यटन गतिविधि को भी विस्तार मिलने की संभावना है। वहीं, बुंदेलखंड के कई जिलों के साथ सीधा संपर्क होगा। महाकोशल और विंध्य क्षेत्र को भी फायदा मिलेगा।
ट्रेन में...
600 किमी — अभी कटनी–बीना होकर जबलपुर से खजुराहो की दूरी है।
8–10 घंटे — लगभग इतना समय वर्तमान मार्ग से यात्रा में लगता है।
335 किमी — सतना–पन्ना होकर नई लाइन बनने पर दूरी होगी।
5–6 घंटे — नई लाइन पर जबलपुर से खजुराहो ट्रेन से पहुंचने का अनुमान है।
अभी तक नागौद तक बना ट्रैक
पश्चिम मध्य रेल के सतना–पन्ना रेलखंड की दूरी लगभग 74 किलोमीटर है। इस मार्ग पर सतना से नागौद तक नया ट्रैक तैयार कर लिया है। अब नागौद–देवेंद्र नगर–पन्ना के बीच नई लाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा है। इस रेलखंड पर एक टनल बनाई जा रही है, जिसके पूरा होने के बाद पन्ना तक नया रेलपथ बन जाएगा।
रेलवे ने खजुराहो की ओर से भी पन्ना के लिए रेलपथ निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया है। यह रेलखंड लगभग 72 किलोमीटर का है। इसमें खजुराहो–पन्ना के बीच लगभग 16 किलोमीटर के भाग में नई लाइन के लिए अधोसंरचना पर कार्य जारी है। इस रेलमार्ग पर वन क्षेत्र होने के कारण कुल आठ टनल बनाया जाना है। इनके बनने में भी अधिक समय लग सकता है, जिसके कारण सतना से पन्ना तक जुड़ने के बाद भी खजुराहो तक ट्रैक बनने में समय लगेगा।
अलग–अलग पेंच में फंसी यह लाइन
सतना–खजुराहो रेललाइन का निर्माण अलग–अलग कारणों से लगातार पिछड़ता गया। ललितपुर–सिंगरौली परियोजना को वर्ष 1998 में स्वीकृति के बावजूद खजुराहो–सतना के बीच काम शुरू होने में 20 वर्ष का लंबा समय लगा। तब भी इस रेल लाइन को जल्दी पूरा करने के लिए इच्छा शक्ति की कमी रही।
फिर जमीन अधिग्रहण में नौकरी के पेंच और उसके बाद खजुराहो–पन्ना के बीच वन भूमि के झमेले में कार्य प्रभावित हुआ। वन विभाग की जमीन पर अनुमति नहीं मिलने के कारण खजुराहो–पन्ना के बीच रेलपथ की योजना में भी परिवर्तन हुआ। इन कारणों से नई रेल लाइन बनाने का कार्य बाधित होता रहा।