जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। माढ़ोताल स्थित संभागीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को माडल आइटीआई कहा जाता है। लेकिन यहां के स्टूडेंट्स की सुनने वाला कोई नहीं है। हालात ऐसे हैं कि यहां की अव्यवस्थाओं को लेकर आइटीआई के दिव्यांग छात्र-छात्राओं धरना-प्रदर्शन तक करना पड़ गया। इतने के बावजूद उन्हें कोरे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।
माडल आईटीआई में करीब दो दर्जन दृष्टिबाधित छात्र-छात्राएं तकनीकि शिक्षा आधारित कोर्स कर रहे हैं। इनके लिए यहां एडमीशन का इंतजाम तो हो गया, लेकिन पढ़ाने के लिए टीचर नहीं हैं। 2016 में जब माडल आइटीआई बनी थी तभी से दृष्टिबाधित छात्र-छात्राओं को कोपा (कम्प्यूटर प्रेक्टिकल) पढ़ाने के लिए कोई टीचर नहीं है। इन छात्र-छात्राओंं की दिव्यांगता के चलते इनको थ्यौरी से ज्यादा प्रेक्टिकल पढ़ाई की जरूरत होती है। बीते कुछ वर्षों के दौरान स्टूडेंट्स काे कोपा पढ़ाने के एक दिव्यांक-शिक्षक को अस्थाई तौर पर रखा गया था, जो कि इन्हें स्क्रीन लीडर के माध्यम से पढ़ाता रहा। लेकिन कुछ महीनों पूर्व ही उक्त शिक्षक को बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के यहां से हटा दिया गया। परीक्षाएं नजदीक हैं, ऐसे में शिक्षक की कमी इन दिव्यांग छात्र-छात्राओं को परेशान कर रही है।
इसी प्रकार इन छात्र-छात्राओं को बीते करीब छह महीनों से इनका स्टायपेंड नहीं मिला है। इनको शासन की ओर से हर महीने चार हजार रुपये दिया जाता है, जिससे वे अपनी जरूरतों को पूरा करते हुए पढ़ाई करते हैं। लंबे समय से स्टायपेंड नहीं मिलने से छात्र-छात्राओं के सामने आर्थिक संकट भी आ खड़ा हुआ है। अपनी समस्या ये कलेक्टर के समक्ष भी रख चुके हैं, कलेक्टर ने तत्काल राहत दिलाने के लिए सामाजिक न्याय विभाग के संयुक्त संचालक अाशीष दीक्षित को निर्देशित भी किया, लेकिन समस्याएं जस की तस हैं।
ऐसी तमाम अव्यवस्थाओं को लेकर दिव्यांग छात्र-छात्राओं ने आइटीआई के मुख्य द्वार पर धरना प्रदर्शन किया। लेकिन इसके बावजूद इनको कोरा आश्वासन ही मिला। प्रदर्शन के दौरान अरविंद बामनिया, बरकतुल्ला अंसारी, बृजमोहन पटैल, श्याम लाल पटैल, राधेश्याम पाल, जुगराज पाल, महेश नौरया, सूरज रजक, यशवंत श्रीवास, सविता विश्वकर्मा, दीपाली चौहान, दुर्गा बर्मन, अर्चना डेहरिया आदि की मौजूदगी रही।