नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। जुलाई माह डेंगू नियंत्रण माह के रूप में स्वास्थ्य विभाग मनाता है और माह के पहले ही दिन मंगलवार को शहर के जाने-माने चिकित्सक डॉ. गोपाल पोल की डेंगू से मौत की खबर ने चिकित्सा जगत सहित सभी को स्तब्ध कर दिया है। मंगलवार को चिकित्सक दिवस भी मनाया जा रहा है। शहर के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में कार्यरत डॉ. गोपाल पोल का डेंगू से निधन ने स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की डेंगू नियंत्रण की तैयारियों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
डॉ. गोपाल पोल शहर के उन चुनिंदा चिकित्सकों में से थे, जिन्होंने अपनी सेवा और समर्पण से जनमानस में एक विशिष्ट स्थान बनाया था। उनके निधन से चिकित्सा समुदाय के साथ-साथ उनके मरीज और शहर के लोग आश्चर्यचकित हैं। बताया जा रहा है कि डेंगू के लक्षणों के बाद उन्हें निजी अस्पताल में ही भर्ती कराया गया था, जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनकी जान बचाने के लिए प्रयास कर रही थी। हालांकि, गंभीर स्थिति के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका। शहर में डेंगू के मामलों में कमी का दावा किया जा रहा था।
ऐसे में एक समर्पित चिकित्सक का डेंगू से जान गंवाना, आम लोगों के मन में भय और अविश्वास पैदा कर रहा है। शहरवासी अब खुले तौर पर यह सवाल उड़ा रहे हैं कि जब शहर के स्वास्थ्यकर्मी ही डेंगू जैसे जानलेवा मच्छर जनित रोग से सुरक्षित नहीं है, तो आम नागरिकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी। डेंगू के दंश से जान गंवाना यह दर्शाता है कि शहर अभी भी डेंगू के खतरे से पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ है। इस दुखद घटना ने संबंधित विभागों को यह संदेश दिया है कि वे इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लें।
डॉ गोपाल पोल प्रदेश की पहली डिजिटल एक्स-रे मशीन लगाने वाले चिकित्सक माने जाते हैं। वे नगर के सुप्रसिद्ध रेडियोलॉजिस्ट के रूप में एक अमिट छाप छोड़ी है। चिकित्सकों द्वारा बताया जा रहा है कि डेंगू की प्रारंभिक रिपोर्ट नेगेटिव आई थी लेकिन डेंगू के लक्षण दिख रहे थे।